नई दिल्ली [ युनिस खान] किसान संबंधी तीनों नए क़ानून को रद्द करने की मांग को लेकर 17 दिनों से दिल्ली में आन्दोलन कर रहे किसान 14 दिसंबर से सिन्धु बार्डर पर संयुक्त किसान आन्दोलन के नेता एक मंच पर भूख हड़ताल करने वाले वाले हैं . इस आशय की जानकारी संयुक्त किसान आन्दोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने दी है . उन्होंने स्पष्ट किया है की हम किसी प्रकार के संशोधन के पक्ष में नहीं है हमारी मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कानूनों को वापस ले . किसान नेताओं का कहना है कि सरकार उनके आन्दोलन को विफल करने का हथकंडा अपना रही है लेकिन हमारा शांतिपूर्ण आन्दोलन मांग पूरी होने तक जारी रहेगा .
संयुक्त किसान आन्दोलन के नेता पन्नू ने कहा कि हम अपने आंदोलन को विफल करने के लिए केंद्र द्वारा किसी भी प्रयास को कामयाब नहीं होने देंगे . हमें बांटने और आन्दोलन में शामिल लोगों फोड़ने की केंद्र सरकार की ओर से कई प्रयास किये गए लेकिन हम अपने आन्दोलन को सफल बनाने के लिए तैयार हैं . हम देश के किसानों से चलो दिल्ली का आवाहन करा रहे हैं . रविवार की सुबह 11 बजे से शाहजहांपुर राजस्थान से ट्रैक्टर मार्च शुरू कर जयपुर दिल्ली महामार्ग को जाम करेंगे . उन्होंने कहा है कि यदि सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम तैयार हैं लेकिन पहले हम तीनों कानूनों को वापस लेने की बात करेंगे . सरकार के प्रतिनिधि किसान आन्दोलन में कुछ आसामाजिक तत्वों और मावोवादियों के शामिल होने का आरोप लगाकर आन्दोलन को कमजोर करने की कोशिस कर रहे है . शुक्रवार को सरकार ने कहा है कि किसान अपने मंच का दुरूपयोग न होने दें .भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार को लगता है की आन्दोलन में राष्ट्र विरोधी तत्व शामिल हैं तो पुलिस और सभी सरकारी तंत्र उसके पास है वह उन्हें गिरफ्तार कर सलाखों के भीतर डाल सकती है . हमें तो कोई असामाजिक तत्व आन्दोलन में दिखाई नहीं दे रहा है . किसान आन्दोलन की मांगों को मानने की बजाय उसे बदनाम करने की कोशिस की जा रही है . उन्होंने कहा है कि जब तक तीनों किसान विरोधी कानूनों को सरकार वापस नहीं लेती तब तक हम घर लौटने के लिए तैयार नहीं हैं . नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 17वां दिन है . सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर चुके किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं . दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है . किसान तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स एक्ट, 2020, द फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 एवं द एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट, 2020 के विरोध में पंजाब , हरियाणा , राजस्थान , उत्तर प्रदेश समेत देश के अनेक राज्यों के किसान आन्दोलन कर रहे है . किसान आन्दोलन को विरोधी दलों समेत अनेक संगठनों का समर्थन प्राप्त है . केंद्र सरकार का सहयोगी अकाली दल किसानों के समर्थन में पहले ही राजग से अपना पुराना गठबंधन तोड़ लिया है .बंगाल समेत कुछ राज्यों में केंद्र सरकार और विरोधी दलों के बीच टकराव बढ़ गया है जिससे किसान आन्दोलन को और अधिक ताकत मिलने की संभावना है . सरकार और किसान आन्दोलन के बीच कई दौर की बातचीत सफल नहीं हो पायी है . किसान भी अपनी मांग पर आड़े है वे पीछे हटने के लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं . कड़ाके की ठण्ड में आन्दोलन कर रहे किसानों के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ रही है . किसान नेताओं के भूख हड़ताल से लोगों का आक्रोश भड़कने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है .