मुंबई, हिन्दुस्तानी संगीत में साहित्य का महत्व भाग 2″ का शनिवार 13 मार्च को मैसूर कान्फ्रेन्स हाल में संगीत उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया | समारोह का शुभारंभ नजीर उपाध्ये के दीप प्रज्वलन से शुरू हुआ | सुप्रसिद्ध गायक डा. परमानन्द यादव ने राग भूपाली में मोतियन माला तोड़ दई री, राग गौड़ मल्हार में सूरदास का पद उठी- उठी सखी सब मंगल गाई, राग मांड में कबीर का पद नईहरवा हमका न भावे, तथा राग भैरवी में रैदास का पद गाई- गाई अब का कहि गाउँ की खूबसूरत प्रस्तुति दी | कामिनी जैसवाल, सुखबीर कौर, अंजन कुमार, पंडित अमरेन्द्र धनेश्वर ने सोदाहरण व्याख्यान देकर श्रोताओं को रोमांचित किये, वर्धा से लाईव डा. ओमप्रकाश भारती तथा भाग्यश्री राउत ने भी समारोह को संबोधित किया | अंत में वाराणसी से पधारे मशहूर कहानीकार रामजी यादव ने भी साहित्य और संगीत के अंर्तसंबधों पर गहन प्रकाश डाला | तबले से मनोज देशमुख, हारमोनियम से सुमीत राउत तथा तथा तानपुरों पर अनुज शर्मा एवं सुनीता चौहान ने मधुर संगति की | प्रमिला शर्मा ने बहुत ही साहित्यिक अंदाजमें समारोह का संचालन किया | ट्रस्टी चंद्रावती यादव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया | संजीत यादव और रवि यादव ने समारोह को गरिमामय बनाने
में महती भूमिका निभाई…. | संगीत, साहित्य, कला, पत्रकारिता, सिनेमा से
जुड़े प्रमुख लोग उपस्थित थे |