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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाशाली खिलाड़ी को मिली एक नई पहचान

मुंबई , संयुक्त राष्ट्र अमेरिका जैसे उन्नत देश में, एक प्रकार का खेल है जिसे मिक्स मार्शल आर्ट कहा जाता है। हालाँकि, भारत में खेल को अच्छी तरह से नहीं जाना जाता है। मुंबई के कांदिवली के निवासी चैतन्य गवली ने इस रोमांचकारी  खेल में कई स्वर्ण पदक जीते, लेकिन भारत में इस खेल को मान्यता ना होने के कारण इसे पहचान नही मिल पायी । दरम्यान, द ट्राइबल बॉक्स, एक वेबसाइट जो प्रतिभाशाली लोगों की प्रेरक कहानियों को ऑनलाइन प्रकाशित करती है,  चैतन्य गवली की कहानी प्रकाशित करने के बाद इस प्रतिभावान मार्शल आर्ट खिलाडी चैतन्य को पूरे भारत में जाना जाता है।
विवरण के अनुसार, चैतन्य गवली का जन्म मुंबई के कांदिवली में एक चर्मकार परिवार में हुआ था। यहा चैतन्य का बूट और चप्पल का कारोबार है। चैतन्य की बचपन से ही खेलों में रुचि रही है। चैतन्य को बाद में मिक्स मार्शल आर्ट के बारे में पता चला लेकिन भारत में एमएमए को मान्यता नहीं मिली, उन्होंने इवोल्यूशन कॉम्बैट स्पोर्ट्स अकादमी के तहत जितेंद्र खरे की देखरेख में प्रशिक्षित किया और विदेशों में कई स्थानों पर स्वर्ण पदक जीते। हालांकि, भारत में खेल के बारे में जागरूकता की कमी के कारण चैतन्य को पहचान नहीं मिल सकी । हालांकि, एक दिन द ट्राइबल बॉक्स पर चैतन्य की जिद की कहानी चमक गई और चैतन्य को एक नई पहचान मिली। चैतन्य गवली ने कहा, “स्वर्ण पदक जीतने के बाद भी, मुझे भारत में कभी भी एक सफल खिलाड़ी के रूप में मान्यता नहीं मिली है।” मेरी जीवन कहानी और सफलता की ओर मेरी यात्रा को सुनने के लिए मैं द ट्रायबल बॉक्स का आभारी हूं। उन्होंने मुझे अपने संघर्षों, अपनी जीत और अपने सपनों के बारे में बात करने के लिए एक मंच दिया, जिससे मुझे वह पहचान और समर्थन हासिल हुआ जिसकी मुझे तलाश थी। मेरी यात्रा असाधारण रही है, लेकिन मेरे कोच जितेंद्र खरे ने मुझे मार्शल आर्ट के जरीये खतरे से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। और मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
 द ट्राइबल बॉक्स के निदेशक संघमित्रा खाटू ने कहा, “हम हमेशा उन्हें मंच देने के लिए चैतन्य गवली जैसे प्रतिभाशाली लोगों की तलाश कर रहे हैं।” चैतन्य भारतीयों के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। इसलिए लक्ष्य यह था कि हम अपने मंच से दुनिया भर में जाने जाएं और हम सफल रहे।

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