ठाणे [युनिस खान ] शहर के जिलानीवाडी के 110 परिवार 13 वर्षों से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। सरकार सबको घर व पुनर्वास की बातें कर रही है लेकिन बेघर किए परिवार पुनर्वास किए लिए दर दर भटकने के लिए बजबूर हैं उनकी समस्या सुनने व देखने वाला कोई सामने नहीं आ रहा है। अपनी मांगों को लेकर बेघर परिवारों ने आज ठाणे मनपा मुखयालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। मनपा प्रशासन को आंदोलनकारी परिवारों ने चेतावनी दी यदि उनके साथ न्याय नहीं किया गया तो आगे वे मनपा मुख्यालय के समक्ष आमरण अनशन भी करेंगे।
हजुरी स्थित जिलानीवाडी में रहनेवाले 110 परिवार 13 सालों से अपने पुनर्वसन का इंतजार कर रहे हैं। इतना ही नहीं विस्थापित परिवारों को गत 13 सालों से ठाणे मनपा प्रशासन की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए राकांपा के हजुरी वार्ड अध्यक्ष फिरोज शेरखान पठाण ने कहा है कि विस्थापित परिवारों को कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही है जिससे लोग परेशान हैं। आज मजबूर होकर विरोध प्रदर्शन करने को विवश हुए हैं। इसके पहले भी कई बार पुनर्वास की मांग को लेकर मनपा मुख्यालय के सामने धरना आन्दोलन किया गया लेकिन आश्वासन के आलावा कुछ भी नहीं हुआ है। वर्ष 2007 में इन पविारों को अपने घर से विस्थापित कर दिया था लेकिन इन परिवारों को अब तक अपना हक का घर नहीं मिला है। वर्ष 2007 से लेकर अब तक विस्थापित पविारों को ठाणे मनपा प्रशासन की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिली है। मनपा प्रशासन से विस्थापित परिवारों का पुनर्वसन क्लस्टर योजना या फिर अन्य किसी योजना के तहत किए जाने की मांग किय है। गत 13 वर्षों से ये परिवार परेशानी झेल रहे हैं। राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर उक्त परिवारों के पुनर्वसन को लेकर कभी गंभीर विचार नहीं किया गया। समस्या का समाधान नहीं होने पर विरोध आंदोलन ही अंतिम रास्ता बचा है। गुरुवार को विस्थापित परिवार के सदस्यों महिला और पुरुषों के साथ बच्चों ने ठाणे मुख्यालय पर आकर विरोध आंदोलन किया। फिोज पठाण ने बताया कि प्रशासन से मांग की गई कि विस्थापित तमाम परिवारों का शीघ्र पुनर्वसन किया जाए। ठाणे मनपा आयुक्त डॉ. विपीन शर्मा को भी इस बाबत निवेदन दिया गया है। जिसमें मांग की गई है कि इन विस्थापित परिवारों को लेकर प्रशासनिक स्तर पर सकारात्मक निर्णय लिया जाय। विस्थापित परिवारों का पुनर्वास नहीं किए जाने पर आगे भी आन्दोलन किया जाता रहेगा। [ फोटो – प्रफुल्ल गांगुर्डे ]