नई दिल्ली [ युनिस खान ] उत्तर व पश्चिम भारत में आक्सीजन की उपलब्धता के बावजूद आपूर्ति में आने वाली समस्या सुलझाने के लिए जिला स्तर पर अस्पतालों को आत्मनिर्भर बनाने की केंद्र सरकार की योजना है . जिसके तहत उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , दिल्ली , हरियाणा , पंजाब ,राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में प्राथमिकता के आधार पर आक्सीजन प्लांट लगाने के साथ की राज्य सरकारों को भी प्रेरित करने का विचार है .
कोरोना मरीजों के उपचार के लिए बेड , इंजेक्शन , वैक्सीन आदि की व्यवस्था होने के बावजूद आक्सीजन की सबसे बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है . आक्सीजन न मिलने से बड़ी संख्या में मरीजों के मरने की घटनाएं सामने आ रही है .आक्सीजन उपलब्ध होने बावजूद अनेक राज्यों व जिलों में आक्सीजन की आपूर्ति करने की समस्या है . कोरोना के बढ़ने से आक्सीजन की मांग भी बढ़ रही है .अभी तक जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार 17 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है जिसमें करीब आधे मरीजों को प्रतिदिन 10 लीटर व 3 फीसदी मरीजों प्रति दिन 24 लीटर आक्सीजन की आवश्यकता होती है .आक्सीजन आपूर्ति व उपचार सेवाओं को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से गठित टास्क फ़ोर्स निगरानी रखेगा .आक्सीजन की बर्बादी रोकने के लिए आटोमैटिक रेगुलेटर खरीदकर 30 फीसदी तक बर्बाद होने वाली आक्सीजन को बचाने की कोशिस है . उत्तर और पश्चिम भारत के बड़े राज्यों में टैंकर से आक्सीजन की आपूर्ति न काफी समय लगता है ऐसे राज्यों के केंद्र की ओर से आक्सीजन प्लांट लगाये जायेंगे . उक्त राज्यों को आक्सीजन आत्मनिर्भर बनाने प्रयास है साथ ही उन राज्यों को आक्सीजन भण्डारण बढ़ाने के लिए प्रेरित करने की योजना है .