भिवंडी [ एम हुसेन ] कोरोना महामारी के बढते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार के लगभग सभी कार्यकर्मों में शिक्षकों ने निष्ठा से अपना योगदान दिया है और इस समय भी दे रहे हैं। लेकिन शुरू से ही सरकार की तरफ से शिक्षकों के कामों के तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शिक्षकों को कोरोना काल से आज तक उनके किए हुए उनके कामों के बाद उन्हें कार्य मुक्ति प्रमाण पत्र तक नहीं दिया गया है।
फ्रंटलाइन वर्कर का काम करने के बाद उन्हें कोविड योद्धा का सम्मान नहीं दिया गया,शहीद हुए शिक्षकों को सरकार की बीमा कवच योजना का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। सर्वे के दौरान उनकी आत्म सुरक्षा का कोई भी साधन एवं सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसको लेकर महाराष्ट्र राज्य शिक्षण क्रांति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर घागस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एवं मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को भेजे गए पत्र में बिना किसी सुरक्षा के कानूनी कार्रवाई के भय से शिक्षकों की जान से न खेलने की अपील करते हुए शिक्षकों को कोरोना योद्धा का सम्मान देने,विशेष प्रोत्साहन भत्ता देने एवं उनके द्वारा कोरोना काल में किए गए कामों को सेवा पुस्तिका में दर्ज कराने की मांग की है।
मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में सुधीर घागस ने कहा है कि कोरोना का टीका देते समय भी शिक्षकों को प्राथमिकता नहीं दी गई। अभी भी शिक्षकों को टीका देने के लिए सरकार की तरफ से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सभी विभागों के कर्मचारी अपना काम नियमित रूप से कर रहे हैं, लेकिन मात्र शिक्षक एकमेव ऐसा घटक है जो कि अपना दैनंदिन काम पूरा करके कोरोना से संबंधित अनेक जिम्मेदारियां निभा रहा है। इसलिए कोरोना से संबंधित काम करते समय शिक्षकों को दैनंदिन विशेष प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना चाहिए। ग्रीष्मावकाश एवं दिवाली जैसी दीर्घावकाश के समय में काम करने वाले शिक्षकों को उसकी छुट्टी मिलनी चाहिए। जिसे उनके कामों की सेवा पुस्तिका में दर्ज किया जाना चाहिए। शिक्षकों के योगदान पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके उनकी मांग पूरी करनी चाहिए और इसे जिलाधिकारी एवं संबंधित मनपा आयुक्त को सूचना देनी चाहिए।