




मुख्यमंत्री ने कहा कि रक्तदान शब्द कहना बहुत आसान है लेकिन सवाल यह है कि कितने लोग रक्तदान करके वास्तव में अपना कर्तव्य निभाते हैं। आज के आह्वान के जवाब में रक्तदान करने वाले सभी भाइयों और बहनों को बहुत-बहुत धन्यवाद। उन्होंने कहा कि वह टेंभी नाका के नवरात्रि उत्सव को नहीं भूल सकते, एकनाथ शिंदे अब आनंद दिघे द्वारा शुरू की गई परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
दुर्गमाता वह शक्ति है जिसने महिषासुर, नरकासुर जैसे सभी राक्षसों को मार डाला। उसके हाथ में हथियार है जो अन्याय को कुचलने के साथ-साथ गरीबों की रक्षा भी करता है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रक्तदाता इस शक्ति के नवरात्रि पर्व पर रक्तदान कर कई नागरिकों की जान बचा रहे हैं।
लोग स्वयं रक्तदान करने के लिए आगे आते नजर आ रहे हैं। खून किसको दिया जाता है यह नहीं देखा जाता, इसका इस्तेमाल किसी की जान बचाने के लिए किया जाएगा। सामाजिक कर्तव्य के रूप में रक्तदान करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री ने जिला अस्पताल के डॉक्टरों, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग का भी जिक्र करते हुए उन्होंने 2010 में आयोजित रक्तदान शिविर का स्मरण किया। उस समय 12 घंटे में 25,000 से ज्यादा रक्तदान किया गया था। आज चल रही इस परंपरा को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने एक बार फिर सभी रक्तदाताओं का धन्यवाद किया।
पालकमंत्री शिंदे ने कहा कि राज्य में कोविड संकट का असर रक्तदान पर पड़ रहा है। इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री ने रक्तदान की अपील की थी। टेंभीनाका का नवरात्रि उत्सव आज एक अलग तरीके से मनाया जा रहा है। एकनाथ शिंदे ने कहा, यह रक्त की कमी को कम करने में मदद करेगा। उन्होंने रक्तदान सप्ताह के आयोजन में सहयोग के लिए जिला अस्पताल, सभी डॉक्टरों, नर्सों और प्रशासन के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रक्तदाताओं की भागीदारी से रक्तदान का महायज्ञ सफल होगा।