ठाणे [ युनिस खान ] मतदाता सूची से जानबूझकर मुस्लिमों और दलितों का नाम हटाया जा रहा है। अगले वर्ष मनपा के आम चुनाव होने वाले हैं जिसके लिए मतदाता सूची से नाम गायब करने की कोशिस की जा रही है। इस आशय का खुलाशा राज्य के गृहनिर्माण मंत्री डा जितेन्द्र आव्हाड ने किया है।
आगामी वर्ष के शुरू में महानगर पालिका के चुनाव होने वाले हैं जिस्सके मद्देनजर मतदाता सूची बनाने का कार्य शुरू है। मुंब्रा-कलवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के कई मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। इसका भंडाफोड़ करते हुए डा आव्हाड ने कहा है कि मतदाताओं के नाम शामिल करने की बजाय जानबूझ कर कुछ विशेष मतदाताओं के नाम सूची से हटाये जा रहे हैं।
आगामी वर्ष के शुरू में महानगर पालिका के चुनाव होने वाले हैं जिस्सके मद्देनजर मतदाता सूची बनाने का कार्य शुरू है। मुंब्रा-कलवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के कई मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। इसका भंडाफोड़ करते हुए डा आव्हाड ने कहा है कि मतदाताओं के नाम शामिल करने की बजाय जानबूझ कर कुछ विशेष मतदाताओं के नाम सूची से हटाये जा रहे हैं।
डा आव्हाड ने कहा कि मनपा चुनाव से पहले मुंब्रा-कलवा में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की पूरी मतदाता सूची में भी काफी भ्रम है। मुंब्रा में 20,000 से 30,000 मतदाताओं के नाम काट दिए गए हैं। इसके लिए स्थानातरण को कारन बताया गया है लेकिन वर्तमान में वे मतदाता उसी स्थान पर रह रहे हैं। उन्होंने सवाल किया है कि इन नामों को हटाने के लिए कौन जिम्मेदार है, यह जिलाधिकारी पर निर्भर है। उनके नेतृत्व में यह कार्य किया जा रहा है। इसलिए हम मांग करते हैं कि मतदाता सूचियों पर दोबारा गौर किया जाए। जिन्हें स्थानांतरित के रूप में गलत तरीके से नाम हटाया गया है। उन संबंधित मतदाताओं को सूची में पुनः बहाल किया जाए।
इस बीच प्रशासनिक अधिकारी संविधान द्वारा दिए गए मताधिकार के अधिकार को छीनने की कोशिश कर रहे हैं। आव्हाड ने कहा कि मुसलमानों और विशेष रूप से दलितों के नाम काटे जा रहे हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर गौर करने व मतदाताओं के काटे गए नामों को बहाल करने का सुझाव दिया है ।
ठाणे शहर कांग्रेस अध्यक्ष व नगर सेवक एड विक्रांत चव्हाण ने कहा है कि मनपा के प्रभागों के गठन में मनमानी की जा रही है।.प्रभागों के मतदाताओं की संख्या में कोई समानता नहीं है किसी प्रभाग में कम तो किसी प्रभाग में काफी अधिक मतदाता दिखाए जा रहे हैं। प्रभागों की मतदाताओं की संख्या में थोडा अंतर हो सकता है लेकिन भारी अंतर से हर किसी के मन में संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है .