भिवंडी [ युनिस खान ] कृषि के पूरक व्यवसाय के रूप में भिवंडी ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अपने खेतों में ईंट भट्ठे का व्यवसाय करते हैं। जिसमें गरीब आदिवासी मजदुर मेहनत कर अपना परिवार पालते हैं। सीमेंट व सेफोरेक्स की ईंटों से पहले ही मिट्टी की ईंट का कारोबार मंदा कर दिया वहीँ बेमौसम बरसात से उन्हें और चौपट कर दिया है। इससे ईंट भट्टी मालिक के नुकसान से साथ गरीब को रोजीरोटी प्रभावित हो गयी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में टेभवली, जुनांदुरखी, लाखिवली, पालिवली, धामणे, चिंबीपाडा, पाये, पायगाव, खारबाव, मालोडी, खार्डी, कोनगाव, पिंपलास, सुपेगाव, अंबाडी आदि गांवों में ईंटभट्ठियां बड़े पैमाने पर हैं। सीमेंट की ईंटों और सेफोरेक्स ईंटों ने पहले ही मिट्टी की ईंटों के कारोबार को पंगु बना दिया है। उसके बाद कोरोना संकट के कारण ईंट भट्ठी व्यवसाय आर्थिक संकट में आ गया है। बेमौसम बारिश से ईंट भट्ठा मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। नतीजतन, इस व्यवसाय पर निर्भर आदिवासी मजदूरों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कई ईंट भट्ठी चलाने वाले ग्रामीणों ने साहूकारों और आभूषण गिरवी रखकर ब्याज पर पैसे लेकर अपना ईंट भट्ठा व्यवसाय शुरू किया है। इसलिए ईंट भट्ठा मालिकों की मांग है कि सरकार बेमौसम बारिश से हुए नुकसान का पंचनामा करे और ईंट भट्ठा कारोबारियों को मुआवजे के तौर पर आर्थिक मदद मुहैया कराए। उनका कहना है कि ईंट भट्ठा मालिकों और मजदूरों के भूखे मरने का समय आ गया है। कोंकण संभागीय ईंट उत्पादक एवं चालक संघ ने चालू वर्ष 2021-22 के लिए रायल्टी माफ करने की मांग के लिए राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात से मुलाकात कर आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की है। उक्त जानकारी ईंट उत्पादक संघटना के अध्यक्ष कुंदन पाटिल ने दी है।
सरकार ईंट भट्ठा मालिकों को रॉयल्टी में 50 फीसदी की छूट देती है। हालांकि, सरकार ईंट भट्ठा मालिकों को वित्तीय मुआवजा नहीं देती है। कई ईंट भट्ठा मालिकों द्वारा स्वामित्व की सरकारी राशि का भुगतान नहीं किया जाता है। कुछ तो इस संबंध में नियमों को भी नहीं जानते हैं। हाल ही में ईंट भट्ठा मालिकों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पाटिल ने कहा कि उन्होंने सरकारी नियमों और शर्तों के साथ-साथ व्यापार के संबंध में ईंट भट्ठा मालिकों को मार्गदर्शन दिया है।