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13 जनवरी को भूमिपुत्र निर्धार परिषद, 24 जनवरी को हवाई अड्डा का कामबंद करने का आंदोलन – दशरथ पाटिल

नवी मुंबई [ युनिस खान ] अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम लोकनेता दी बा पाटील के नाम पर रखने की मांग को लेकर हवाई अड्डा क्षेत्र में 13 जनवरी को हजारों परियोजना प्रभावित भूमिपुत्र ‘भव्य भूमिपुत्र निर्धार परिषद’ का आयोजन किया गया है। 24 जनवरी को एयरपोर्ट कामबंद आंदोलन किया जाएगा। लोकनेते दी बा पाटील नवी मुंबई अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा सर्वदलीय कृति समिति के अध्यक्ष दशरथ पाटील ने इस आशय की जानकारी दी है।
नवी मुंबई में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम लोकनेता दी बा पाटील के नाम पर रखने की मांग को लेकर मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, रायगढ़, पालघर और अन्य जिलों से हजारों प्रकल्पग्रस्त , भूमिपुत्रों की भूमिपुत्र निर्धार परिषद उनके जन्मदिन के अवसर पर कोल्ही कोपरगाँव दत्तमंदिर में दोपहर 3 बजे आयोजित किया गया है। इस सम्मेलन में भूमिपुत्रों के मुद्दे, गांवों के पास निर्माण का मुद्दा, खारभूमि का मुद्दा, उरण के 27 गांवों का मुद्दा, औद्योगीकरण के लिए ली गई भूमि का मुद्दा-एमआईडीसी-मफतलाल कंपनी के लिए ली गयी जमीन , गाँवठान भूमि का मुद्दा, रेत बंदरगाह भूमि का मुद्दा ,  व्यापारियों, अन्य लंबित भूमि के मुद्दों, भूमिपुत्रों के भविष्य के मुद्दों आदि के संबंध में ठोस कार्यक्रमों के साथ आंदोलन किया जाएगा।
10 जून, 24 जून और 9 अगस्त 2021 को, मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, रायगढ़, पालघर और अन्य जिलों के लाखों लोगों ने आंदोलन किया और मांग की कि नवी मुंबई में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम लोकनेते दी बा पाटील के नाम पर रखा जाए।  उसके बाद विभागीय बैठकें और सभाएं हुईं और नाम बदलने का मुद्दा उठता रहा। अब दी बा पाटिल के जन्म दिवस 13 जनवरी 2022 पर प्रस्तावित हवाई अड्डे पर परियोजना प्रभावित भूमिपुत्रों का भव्य सम्मेलन आयोजित किया गया है। यह सम्मेलन परियोजना प्रभावित भूमिपुत्रों के साथ की गई पहचान, अस्तित्व और अन्याय के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए है।  इस सम्मेलन में सर्वदलीय समिति के उपाध्यक्ष, पूर्व सांसद रामशेठ ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष, विधायक प्रशांत ठाकुर और पूर्व सांसद संजीव नाइक, सलाहकार, पूर्व सांसद जगन्नाथ पाटिल, सांसद , विधायक सहित पार्टी के सभी पदाधिकारी, जिला परिषद के सदस्य, नगर सेवक आदि उपस्थित रहेंगे।
नवी मुंबई की स्थापना करते हुए लोकनेते दी बा पाटील ने परियोजना प्रभावित भूमिपुत्रों को उचित न्याय दिया और अपना खून बहाया। 1984 में शुरू हुए आंदोलन में पांच किसानों को शहीद होना पड़ा था। इस वीर, गौरवशाली आंदोलन से किसानों को 12.5 प्रतिशत विकसित भूमि देने का सिद्धांत बाद में महाराष्ट्र में सभी परियोजना प्रभावित किसानों पर लागू किया गया था।  इसके अलावा सिडको को भूमिहीन खेतिहर मजदूरों, नमक मजदूरों और खेतिहर मजदूरों को कम से कम 40 वर्ग मीटर जमीन का प्लॉट देने के लिए राजी होना पड़ा।  इस आंदोलन के कारण, दी बा पाटील को महाराष्ट्र में विभिन्न नई शुरू की गई परियोजनाओं में किसानों का पक्ष लेने का आग्रह करना पड़ा। इसलिए, सही मायने में वे महाराष्ट्र के नेता बन गए।  दशरथ पाटील ने स्पष्ट किया कि सम्मेलन इस मांग के लिए आयोजित किया गया था कि इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को महाराष्ट्र के ऐसे निस्वार्थ, बेदाग नेता का नाम दिया जाए।

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