ठाणे [ युनिस खान ] मनसे प्रमुख राज ठाकरे जब मंच पर आते हैं तो विश्व चैम्पियन होने की आड़ में माइक संभाल लेते हैं। लेकिन, क्या वह कभी छत्रपति शिवाजी महाराज या डा बाबासाहेब अंबेडकर को हार पहनाते हुए देखा है? क्या उन्होंने कभी एक साथ मंच पर मौजूद महापुरुषों को श्रद्धांजलि दी है? इस आशय का सवाल उठाते हुए राकांपा नेता व गृहनिर्माण मंत्री डा जितेन्द्र आव्हाड ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि जहां राज ठाकरे का सभा स्थल था। उसके पास में छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला है महाराज के पुतले पर माल्यार्पण करना चाहिए। दस मिनट पर डॉ. बाबासाहेब की पुतला है क्या वे वहां जाकर बाबासाहेब को श्रद्धांजलि नहीं देना चाहते थे? राज ठाकरे से ऐसा कभी नहीं होता। लेकिन, आप हमेशा दूसरे पर उंगली उठाते हैं। तुकाराम महाराज ने कहा है, जैसा चाहो उत्तर दो; आज याद रखना, राज के बोलते ही जवाब मिल जाएगा। कल राज के पास कोई जवाब नहीं था तो उत्तरपूजा हुई। केवल एक चीज जो स्थापित की जाती है उसे उत्तर पूजा के बाद विसर्जित कर दिया जाता है। डा आव्हाड ने राकांपा नेताओं पर किए राज ठाकरे के हर सवाल पर प्रतिक्रिया दिया है।
डा आव्हाड ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र की संस्कृति में लुका-छिपी की बात करना किसी को मंजूर नहीं है। राज अगर किसी को आरे तूरे बुला रहा है तो भी हम उसे राजसाहेब कहते हैं। राजनीति में मेरे दादा, मेरे पिता, मेरे चाचा जैसा कोई नहीं था। राज ठाकरे गुणी हैं; क्योंकि उनके पीछे दादा और चाचा की अच्छाई है। मैंने सोचा था कि वे उस गुण का अच्छा उपयोग करेंगे। लेकिन, वे कुछ करते नहीं दिख रहे हैं। कल 14 दिसंबर डा बाबासाहेब का जन्मदिन है। राज ठाकरे ने कई बार गुड़ीपाडवा को बाबासाहेब का नाम बताया और कहा कि जुलूस जोर-जोर से शुरू करें। हालांकि मंगलवार को अपने भाषण में उन्होंने बाबासाहेब के बच्चों को जन्मदिन की बधाई तक नहीं दी। लुका-छिपी की बात करें तो क्या आपको ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें नहीं दिखतीं? उसके विषय में कुछ न कहा जाएगा।