



ठाणे [ इमरान खान ] दहेज़ की कुप्रथा को रोकने के लिए उलेमा व समाज के राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आगे आने की आवश्यकता है। आज दहेज़ की मांग के चलते बड़ी मुस्लिम लड़कियों का विवाह नहीं हो पा रहा है। दहेज़ की समस्या अब मुस्लिम समाज में भी बढ़ी है। इस आशय का बयान आल इंडिया सुन्नी जमीअतुल उलेमा के अध्यक्ष मौलाना मुईनुद्दीन अशरफ ने दिया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में कुछ लोग गुमराह हो रहे है उन्हें सही राह दिखाने के लिए इमामों के माध्यम से जागृत करने का प्रयास किया जायेगा।
उन्होंने अपने बयान में मुल्क और मिल्लत की मौजूदा हालात पर चर्चा करते हुए समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा की ख़ुशी से दहेज़ दिया जाता है तो कोई समस्या नहीं है लेकिन लड़की के माता पिता की हैशियत से अधिक दहेज़ की मांग अनुचित है। जिसके कारण अधिक आयु होने पर भी गरीब लड़कियों का विवाह करना मुश्किल होने लगा है। मौलाना अशरफ ने कहा कि समाज खासकर युवाओं को नशे की लत से बाहर निकलने व नशा मुक्ति पर काम करने के लिए लोगों को आना चाहिए। उन्होंने कहा मेरे प्रयास से मुंब्रा में नशा विरोधी मुहीम चलाई गयी जिसका काफी सकारात्मक असर हुआ है लेकिन यह काफी नहीं है। इसके लिए और अधिक प्रयास करने की जरुरत है। मौलाना अशरफ ने कहा कि मेरे ऊपर संस्था के अध्यक्ष की जिम्मेदारी है जिसे मैं पूरी मेहनत व ईमानदारी से निभाने के लिए तैयार हूँ। इस कार्य में उलेमाओं का अच्छा सहयोग मिल रहा है। धार्मिक शिक्षा के साथ दुनिया की अन्य शिक्षा को बढ़ावा देकर बच्चों को अच्छा इन्सान बनाने के लिए प्रयास होना चाहिए है। उन्होंने गरीबी और अर्थित परेशानी से जूझ रहे होनहार बच्चों की शिक्षा पूरी करने के लिए समाज के सक्षम लोगों के आगे आने की अपील करते हुए इलाज खर्च वहन न कर पाने वालों मरीजों के दवा उपचार के लिए मदद करने के लिए लोगों के को आगे आने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि फिजूल खर्ची से बचकर गरीबों की शिक्षा , स्वास्थ्य व जीवन के आवश्यक कार्यों में जरुरतमंद लोगों की मदद करने की जरुरत है।