



ठाणे [ इमरान खान ] हमारी शिक्षा प्रणाली में एक छात्र को उसी तरह तैयार जाता है जैसे किसी कारखाने में एक वस्तु को चरणबद्ध तरीके से बनाया जाता है। जब भी किसी विद्यार्थी के मन में कोई प्रश्न हो तो उसे तुरंत उत्तर मिल जाना चाहिए। उसके लिए अगली कक्षा में जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए। हमारी शिक्षा व्यवस्था चौपट है और यही इस शिक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी खामी है। इसके चलते ऐसी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। इस आशय का उदगार व्यक्त करते हुए परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोडकर ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी की है।
शनिवार को कलावा स्थित विद्या प्रसारक मंडल के सहकार विद्यालय में मराठी विज्ञान परिषद की ओर से राज्य स्तरीय बाल विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन परमाणु वैज्ञानिक अनिल काकोडकर ने किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सब कुछ बंद होने के कारण छात्रों को तकनीक आधारित ऑनलाइन शिक्षा दी गई। हालांकि, अक्सर यह बात सामने आई है कि जब स्कूल सुचारू रूप से शुरू हुए हैं तो अधिकांश छात्रों ने ध्यान केंद्रित करने की अपनी क्षमता खो दी है। इसलिए कोरोना के बाद छात्रों की समझ की समस्या गंभीर होती जा रही है और इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव की जरूरत है और छात्रों की रुचि , उनकी समझ , क्षमता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।