ठाणे [ युनिस खान ] मुख्यमंत्री के भूमि घोटाले का पर्दाफाश न हो, इसके लिए सत्ताधारी विपक्ष निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की आवाज दबाने के लिए सदन के पटल पर न आने वाले मुद्दों को ला रहे हैं। राकांपा के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील के निलंबन को लेकर ठाणे शहर अध्यक्ष आनंद परांजपे के नेतृत्व में राकांपा कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि विरोधी पक्ष की आवाज दबाने के लिए राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को निलंबित कर दिया गया है। इस मौके पर कार्यकर्ता ने नया नारा दिया, ”दिल्ली के मिंधे, एकनाथ शिंदे’।
जयंत पाटिल आक्रामक हो गए जिससे विपक्षी दल के सदस्यों को बोलने नहीं दिया जिससे जयंत पाटिल आक्रामक हो गए। लेकिन इस बार बोलते हुए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के लिए एक असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया। उसके बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ और जयंत पाताल के निलंबन की मांग की गई। इसके बाद जयंत पाटिल के निलंबन का प्रस्ताव रखा गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया। उनके निलंबन के विरोध में राष्ट्रवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तख्त बदल दो, ताज बदल दो, गद्दारो का राज बदल दो, बेशर्म सरकार का विरोध, ईडी सरकार मुर्दाबाद, पचास खोके-एकदम ओके जैसे नारे लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटने वाली सरकार का निषेध किया। विरोध प्रदर्शन के लिए कार्यकर्ताओं द्वारा नारे लिखे कुछ डिब्बे लाए गए थे।
इस मौके पर आनंद परांजपे ने कहा, यह सरकार अपने बहुमत का गलत इस्तेमाल कर रही है। महापुरूषों की बदनामी और मानहानि को यह सरकार हल्के में ले रही है। महापुरूषों की बदनामी हो रही है तो यह सरकार खामोश है। जो विषय अभी विधानसभा पटल पर नहीं है उस मुद्दे पर चर्चा कर मुख्यमंत्री द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। हमारे नेता डॉ. जितेंद्र आव्हाड हॉल में इस संबंध में दाखिल शपथ पत्र पेश करने वाले थे।
इसलिए सत्ताधारियों ने सदन को 14 बार बंद किया। सदन में जहां सत्ता पक्ष के 14 सदस्य अपना पक्ष रखते हैं, वहीं विपक्ष के एक भी सदस्य को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया जाता है। माइक बंद होने पर अगर जयंत पाटिल के निलंबन को रिकॉर्ड में लाया जा रहा है तो यह तानाशाही की शुरुआत है। हम लोकतंत्र का गला घोंटने की इस कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि हम इसके खिलाफ लड़ेंगे।