




कौरव सेना का जिक्र करते हुए संजय घाटीगावकर ने आरोप लगाया है कि शिंदे गुट भी कौरव सेना की प्रवृत्ति के अनुरूप काम कर रहा है। जिसका उदाहरण आनंद मठ बना है। आनंदमठ जो कभी ठाणे शहर की जनता का आस्था का स्थान हुआ करता था, उसे राजनीतिक स्वार्थ साधने का अड्डा बना लिया गया है। यह प्रयास नैतिकता के खिलाफ है। जिस आनंद मठ में आम नागरिकों की समस्या का समाधान होता था, आज उसे पार्टी कार्यालय बना दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि भले द्वापर युग में पांडवों ने कौरव को पराजित किया, लेकिन आज भी कौरवी प्रवृत्ति महाराष्ट्र की राजनीति में एक्टिव है । घाडीगावकर ने कहां है पहले तो शिंदे गुट ने शिवसेना के साथ गद्दारी की। इसके बाद शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे को भी चुराने का प्रयास किया । उसमें सफलता नहीं मिली तो शिवसेना के चुनाव चिन्ह आदि को ही हड़पने की कोशिश की थी। लेकिन आनंदमठ को पार्टी कार्यालय बनाया जाना यह कौरवी मानसिकता का परिचायक है । ऐसे गंभीर आरोप लगाते हुए संजय घाटीगांवकर ने कहा कि आखिरकार सभी अराजक तत्वों को अपनी पराजय स्वीकार करनी ही पड़ती है।