ठाणे [ इमरान खान ] ठाणे जिले की उल्हास, कुंभेरी, कामवारी, वाल्धुनी आदि शहरी इलाकों से बहने वाली नदियों के कायाकल्प के लिए स्थानीय निकायों को मिलकर काम करने की जरूरत है। जल नायक व ठाणे जिला समन्वयक प्रो. डा. स्नेहल दोंदे इस आशय का उद्गार व्यक्त किया है। वह ठाणे मनपा द्वारा ‘चलो नदी की ओर चलें’ पहल के तहत आयोजित एक कार्यशाला में बोल रही थीं।
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई ‘चलो नदी की ओर चलें’ पहल के तहत, गुरुवार को ठाणे मनपा मुख्यालय में ठाणे जिले की मनपाओं और नगर परिषदों की जिला स्तरीय बैठक और कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में कल्याण-डोंबिवली, भिवंडी-निजामपुर, उल्हासनगर नगर पालिकाओं और कुलगाँव-बदलापुर, अंबरनाथ नगर परिषदों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक की अध्यक्षता ठाणे मनपा के अपर आयुक्त (2) संजय हेरवाड़े ने की।
नदी प्रदूषण का अध्ययन, अतिक्रमण, नदी संवाद, नदी के पुनरोद्धार के लिए एक योजना की तैयारी और कार्यान्वयन, ‘चलो नदी की ओर चलें’ अभियान का उद्देश्य है। इस अभियान के ठाणे जिला समन्वयक प्रो. डा स्नेहल दोंदे हैं। वह यशदा में जलनायक के रूप में काम कर रही हैं और नदी संरक्षण पर अध्ययन कर रही हैं।
नदियों का संरक्षण और जैव विविधता का संरक्षण, सतत विकास प्राप्त करना समय की मांग है। नदियों को प्रदुषण मुक्त रखना हम सभी का कर्तव्य है। इसलिए नदी प्रदूषण की उपेक्षा चिंता का विषय है। ठाणे जिले के शहरी क्षेत्रों, उल्हास, कुंभेरी, कामवारी, वल्धुनी के माध्यम से बहने वाली नदियाँ, उनमें छोड़े गए सीवेज और शहरी बस्तियों के सीवेज के कारण प्रदूषित हो रही हैं। स्थानीय निकायों को उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। ‘चलो नदी की ओर चलें’ अभियान का यह मकसद है।
इस बीच, बैठक के अध्यक्ष और ठाणे मनपा के अतिरिक्त आयुक्त (2) संजय हेरवाड़े ने सभी संबंधित अधिकारियों को अभियान में अब तक किए गए कार्यों की एक वस्तुनिष्ठ रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मुख्य पर्यावरण अधिकारी मनीषा प्रधान ने कार्यशाला का परिचय दिया।