मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] सब जानते हैं धूम्रपान करने से कई तरह की बीमारियां होती हैं, जिनमें फ़ेफ़ड़े का कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों का भी शुमार है. अब डॉक्टर अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल्स के नेत्र विशेषज्ञों ने धूम्रमान से आंखों की जुड़ी समस्याओं, ख़ासकर समय से पहले आंखों की रौशनी जाने और मोतियाबिंध होने के ख़तरों के प्रति आगाह किया है.
मुम्बई के चेम्बूर इलाके में स्थित डॉ. अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल्स की क्लिनिकल विभाग की प्रमुख डॉ. नीता शाह धूम्रपान के ख़तरों के प्रति आगाह करते हुए कहती हैं, “धूम्रपान करने से आंखों को मष्तिष्क से जोड़ने वाली नेत्र तंत्रिका को भारी क्षति होने की आशंका रहती है. धूम्रपान करने से हृदय संबंधी बीमारियों की आशंका भी कई गुना बढ़ जाती है, जिससे आंखों की रौशनी पर गहरा असर होता है. सिगरेट में मौजूद विशेष किस्म के केमिकल्स आंखों को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं और पहले से मौजूद आंखों की समस्याओं को और अधिन बढ़ा देते हैं. इससे आंखों में मोतियाबिंद, उम्र संबंधी मैकुलर डिजेनेरेशन, आंखों में रूखापन, ऑप्टिक न्यूरोपैथी और अन्य नेत्र संबंधी रोगों का ख़तरा बहुत बढ़ जाता है.
डॉ. नीता शाह धूम्रपान और नेत्र संबंधी परेशानियों के बीच मौजूद सीधे संबंध के बारे में कहती हैं, “धूम्रपान करने से कम उम्र में ही आंखों की रौशनी के बाधित होने और मोतियाबिंद होने का ख़तरा ज़्यादा होता है. सिगरेट में मौजूद हानिकारक केमिकल्स से आंखें सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती हैं और पहले से मौजूद नेत्र संबंधी रोगों में बढ़ोत्तरी के लिए यह प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार होते हैं.”
आंखों को प्राकृतिक ढंग से सुरक्षित रखने वाले कैटरैक्ट्स (नेत्र कवच) धूम्रपान के चलते बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं. डॉ. नीता शाह इसे समझाते हुए कहती हैं, “धूम्रपान नहीं करने वालों की बनिस्बत धूम्रपान करने वालों को मोतियाबिंद होने का ख़तरा अधिक होता है. मोतियाबिंद के चलते देखने में अस्पष्टता, ग्लेर को लेकर संवेदनशीलता का बढ़ जाना, साफ़ तौर दिखाई देने में समस्या आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अंतत: इससे व्यक्ति के गुणात्मक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इतना ही नहीं, धूम्रपान करने वालों को ऐज रिलेटेड मैकुलर डिजेनेरेशन (AMD) का भी काफ़ी ख़तरा रहता है. इससे बड़े पैमाने पर उम्रदराज़ लोगों की रौशनी बाधित होने का जोख़िम बढ़ जाता है.
डॉ. नीता शाह कहती हैं, “AMD केंद्रीय रूप से रौशनी प्रदान करने वाले मैकुला को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. धूम्रपान के चलते AMD से प्रभावित होने की रफ़्तार बढ़ जाती है, जिससे आंखों की रौशनी पर बड़े पैमाने पर असर पड़ सकता है. धूम्रपान करने वाले किसी भी शख़्स को इस बात का एहसास हो चाहिए कि धूम्रपान करने से उनकी आंखों की रौशनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. यही वजह है कि उन्हें धूम्रपान छोड़कर अपने नेत्रों की विशेष देखभाल करने की आवश्यकता है.”
एक शोध से पता चलता है कि धूम्रपान और डायबिटीज़ रेटोनोपैथी संबंधी बढ़े हुए ख़तरे का सीधे तौर पर एक ख़ास रिश्ता होता है. डायबिटीज़ रैटोनोपैथी डायबिटीज़ से जुड़ी वह जटिल अवस्था है, जो आंखों की पुतली में रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है. डॉ. नीता शाह सलाह देते हुए कहती हैं, धूम्रपान के चलते डायबिटिक रेटिनोपैथी का ख़तरा पहले से कहीं अधिक तेज़ी से बढ़ता है, जिससे आंखों की रौशनी के प्रभावित होने और नेत्रहीन होने की भी आशंका बनी होती है. पहले से ही डायबिटीज़ के शिकार धूम्रपान करने वालों को अपने रक्तचाप का अच्छी तरह से प्रबंधन करना चाहिए और अपनी आंखों की सुरक्षा और नेत्रों की रौशनी को बचाने के लिए धूम्रपान से तौबा कर लेनी चाहिए. डॉ. नीता शाह धूम्रपान करने वालों से आग्रह करते हुए कहती हैं कि अपने आंखों के बढ़िया देखभाल के लिए धूम्रपान को त्याग देना ही बेहतर है. वे कहती हैं, “धूम्रपान छोड़ना ही आंखों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने का सबसे प्रभावी तरीका है. देर हो जाए, इससे पहले संभल जाना बेहतर है. धूम्रपान छोड़ने का फ़ायदा सिर्फ़ आंखों को नहीं होता है. इसके और भी कई तरह के लाभ हैं. इससे व्यक्ति के पूरे स्वास्थ्य को फ़ायदा पहुंचता है और धूम्रपान छोड़ देने से कई तरह की बीमारियों का ख़तरा भी कम हो जाता है.”
डॉ. अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल्स के डॉक्टर धूम्रपान करनेवाले को नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराने और किसी भी तरह की समस्या को शुरुआती स्तर पर ही जानने लेने की सलाह देते हैं. डॉ. नीता शाह कहती हैं, “आंखों की रौशनी को बचाए रखने के लिए शुरूआती तौर पर ही नेत्र से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या की जानकारी जांच के माध्यम से हासिल कर लेना आवश्यक है. धूम्रपान करने वालों को विशेष तौर पर अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए और अपने डॉक्टर को अपने धूम्रपान संबंधी इतिहास के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए. इससे विशेषज्ञों को धूम्रपान करने वालों की नेत्रों की ठीक से जांच करने और ज़रूरत पड़ने पर आवश्यक इलाज करने में काफ़ी सहायता मिलती है.