ठाणे [ इमरान खान ] जिले के फुटपाथी और उपेक्षित बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए शुरू किए गए उड़न दस्ते के प्रयासों से 145 लड़के-लड़कियों को मनपा और निजी सहायता प्राप्त स्कूलों में दाखिला मिल गया है। इन बच्चों को स्कूल सामग्री एवं गणवेश वितरण का कार्यक्रम आज विधायक निरंजन डावखरे व जिलाधिकारी अशोक शिनगारे की उपस्थिति में किया गया। विधायक डावखरे ने कहा कि सड़कों पर रहने वाले इन बच्चों को शिक्षा और समाज की मुख्य धारा में लाने का यह कदम सराहनीय है और इस संबंध में नीति बनाने के लिए अधिवेशन में प्रयास किया जायेगा।
एकीकृत बाल संरक्षण योजना के तहत ठाणे जिले में शुरू किए गए उड़न दस्ते स्कूलों के बच्चों के लिए एक कदम प्रगति की ओर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी कार्यालय के नियोजन भवन में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विधायक डावखरे व जिलाधिकारी शिनगारे उपस्थित थे। जिला विधि सेवा प्राधिकरण के सचिव ईश्वर सूर्यवंशी, ठाणे मनपा उपायुक्त वर्षा दीक्षित, पुलिस निरीक्षक मनीष पाटिल, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी महेंद्र गायकवाड़, बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा रानी बैसाणे, भरत पोखरकर, स्वाति रणधीर, एनजीओ की स्वाति सिंह, विजय जाधव , रमेश थोरात , श्री खान और अन्य उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिनिधिक तरीके से बच्चों को गणवेश, विद्यालय सामग्री का वितरण किया गया।
विधायक डावखरे ने कहा कि अभी तक वह जनप्रतिनिधि के रूप में जिला नियोजन समिति के सभागार में जिले की योजना बनाने आ रहे थे। बहरहाल, आज के कार्यक्रम ने देश की भावी पीढ़ी की योजना बनाने में खुशी दी है। जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की यह पहल इन उपेक्षित और सड़क पर रहने वाले बच्चों को शिक्षा और समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए अच्छी योजना है। इन बच्चों को धारा प्रवाह में रखना महत्वपूर्ण है। सड़क के बच्चों के लिए एक अलग नीति विधान सभा अधिवेशन में बनाई जाएगी।
जिलाधिकारी शिनगारे ने कहा कि स्कूली बच्चों को औपचारिक शिक्षा में शामिल करने का यह प्रयास सामाजिक ऋण चुकाने का एक अवसर है। ठाणे जिले में सड़क पर रहने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा होना कोई गर्व की बात नहीं है। इनमें से 145 बच्चे अब शिक्षा की मुख्य धारा में लाने का पहला चरण है। शेष बच्चों को शिक्षा की धारा में लाने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की योजना बनाई जाए। महिला बाल विकास विभाग का इन बच्चों को स्कूल तक लाने का सफर अद्भुत है। इन बच्चों को शिक्षा के अंतिम चरण में लाना जरूरी है। आज इन बच्चों के चेहरे पर जो आत्मविश्वास है उसे देखकर लगता है कि ये अगले जन्म में देश के अग्रणी व्यक्तित्व होंगे।