मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] भिवंडी पूर्व से समाजवादी पार्टी के विधायक और मुंबई नगर निगम के पूर्व नगरसेवक रईस शेख ने मांग की, महापौर राहत कोष से गरीब मरीजों को दी जाने वाली तत्काल चिकित्सा सहायता प्रशासकों के माध्यम से दी जानी चाहिए, क्योंकि वर्तमान में कोई महापौर नहीं है। रईस शेख ने पालक मंत्री मंगलप्रभात लोंढ़ा को पत्र लिखकर मांग की है, कि मनपा आयुक्त इस मामले में हस्तक्षेप करें। यह मदद न मिलने से कई मरीजों के इलाज में देरी हो रही है और कई मरीजों को परेशानी हो रही है।
मुंबई नगर निगम (बीएमसी) महापौर राहत कोष के माध्यम से कम आय वर्ग (एलआईजी) के जिन मरीजों को लीवर और किडनी की सर्जरी की जरूरत होती उन्हें 25,000 और डायलिसिस के लिए 15,000 रुपये दिए जाते हैं। लेकिन फिलहाल मुंबई नगर निगम पर प्रशासक शासन लागू होने के कारण यह मदद मिलने में दिक्कतें आ रही हैं। मार्च 2022 से कोई मेयर नहीं है क्योंकि कोई प्रतिनिधि सभा नहीं है। इस अवधि में मेयर राहत कोष का आवंटन लंबित है। मार्च 2022 तक, सहायता मांगने वाले लगभग 500 आवेदन अनुमोदन के लिए लंबित हैं।सदन का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नगर निगम प्रशासन की सारी शक्तियां प्रशासक के रूप में नगर आयुक्त के हाथ में आ गयी हैं। कमिश्नर करोड़ों रुपये के ठेकों, वर्क परमिट, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दे रहे हैं। हालांकि, रईस शेख ने पत्र में कहा है कि कुछ हजार रुपये देकर चिकित्सा सहायता चाहने वाले गरीबों के आवेदन मंजूर नहीं किये जा रहे हैं। रईस शेख ने इस पर संज्ञान लेते हुए मांग की है कि अभिभावक मंत्री को नगर निगम आयुक्त के रूप में महापौर की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और जरूरतमंद गरीबों को तुरंत चिकित्सा सहायता वितरित करने का आदेश देना चाहिए।