ठाणे [ युनिस खान ] महाराष्ट्र में मराठी व्यक्ति को गाला नहीं दिए जाने का गंभीर मामला है। यदि महाराष्ट्र में मराठी आदमी को बिल्डरों द्वारा घर नहीं दिया जाता तो हम आरक्षण की मांग करेंगे। मुलुंड में जिस तरह बिल्डर के कार्यालय में घर खरीदने गयी महिला और उसके पति के साथ व्योहार किया गया वह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले में रेरा को एक्शन लेने चाहिए और मोफा के तहत कार्रवाई की जाये। इस आशय की मांग राकांपा के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक डा जितेन्द्र आव्हाड ने किया है।
गौरतलब है कि तृप्ति देवरुखकर नामक महिला मुलुंड में एक बिल्डर के कार्यालय में घर खरीदने गयी। जहाँ मराठी नाम आने पर बिल्डर के आदमी ने उसे घर देने से इंकार करते हुए कहा कि हम मराठी आदमी को घर ने बेचते है। इस पर उक्त महिला ने वीडियो बनाने के लिए मोबाईल निकला। महिला के हाथ से मोबाईल छीन लिया और धक्का मुक्की की गयी। इस दौरान महिला के पति का चश्मा गिरकर टूट गया। इस शिकायत को लेकर पीड़ित महिला तृप्ति देवरुखकर ने आज विधायक डा आव्हाड से मुलकात की। इस दौरान डा आव्हाड ने कहा कि महिला पर हाथ उठाना गलत है। पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में समय लगा। मनसे और हमारे कार्यकर्ता नहीं होते तो यह भी नहीं होता। पिछले 70 वर्षों में यह नहीं हुआ अब 2014 से आजादी मिलने जो कुछ हो रहा है। उन्होंने कहा कि रेरा कानून आने के बाद कोई बिल्डर मनमानी नहीं कर सकता है। उक्त बिल्डर के खिलाफ मोफा एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। बिल्डरों द्वारा घर खरीदने वालों को घर नहीं दिए जायेंगे तो हम इसके लिए आरक्षण की मांग करेंगे।
महिला तृप्ति देवरुखकर ने बताया कि यह घटना सामने आने के बाद मुझे मुलुंड ,गिरगाँव ,कांदिवली ,बोरीवली और दादर से फोन आये। जिसमें कहा गया कि मराठी लोगों को घर नहीं दिया जाता है। कुछ जगह शर्त होती है कि घर में नानवेज खाना नहीं बना सकते हैं। महाराष्ट्र में अनेक स्थानों में मराठी और मुस्लिम लोगों को घर नहीं दिया जाता है।