




इस मंदिर की स्थापना 1986 में वर्तकनगर में बलिराम नाइबागकर और उनके कुछ सहयोगियों द्वारा की गई थी। 3 बाय 3 की छोटी सी जगह से वर्तमान में विशाल मंदिर तक का सफर संस्थापक बलिराम नाइबागकर की कड़ी मेहनत और आस्था का प्रतीक है। साईं भक्तों की मांग पर संस्था ने श्री साईं बाबा के चांदी के सिंहासन को सोने से मढ़ाने का काम शुरू किया। श्री साईबाबा के सिहांसन और श्री साईबाबा के गभारा को सोने से सजाकर वार्षिकोत्सव का शुभारंभ किया गया।
हर साल यहां वार्षिकोत्सव में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यह वार्षिकोत्सव ठाणे का उत्सव बन गया है पिछले चार दशकों में इस ट्रस्ट ने धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ बड़ी संख्या में सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं। इस ट्रस्ट ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुमूल्य कार्य किये हैं और वर्ष भर गतिविधियाँ चलायी जा रही हैं।