ठाणे [ युनिस खान ] देश में तानाशाही के उदय होने का आरोप लगाते हुए मुंब्रा में मर्जिया शानू पठान के नेतृत्व में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। लोकसभा व राज्यसभा के 146 सांसदों को निलंबित करने के निर्णय की आलोचना की है।
संसद सत्र के दौरान नई संसद में रंगीन गैस छोड़े जाने की घटना घटी। उस घटना को लेकर सवाल उठाने वाले सांसदों को निलंबित कर विरोधी पक्ष की आवाज दबाने का कार्य किया है। यह लोकतंत्र का अपमान है। विपक्षी दल के सांसदों को सत्ता पक्ष के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है। मर्जिया शानू पठान के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में सैकड़ों महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए। इस बार प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस मौके पर मर्जिया पठान ने कहा कि संसद की सुरक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। सुरक्षा का पालन नहीं होने के कारण कुछ युवा सदन में प्रवेश कर रंगीली गैस छोड़ कर सबको आश्चर्य चकित कर दिए। हालाँकि उनकी माँगें सही हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने जो रास्ता अपनाया है वह सही है। अगर इस बारे में सवाल पूछने वाली सुप्रिया सुले समेत 146 सांसदों को निलंबित किया जा रहा है, तो यह लोकतंत्र का पूरक नहीं है। क्या इस घटना से देश में लोकतंत्र बचा है? ऐसा सवाल खड़ा हो गया है.निलंबित सांसदों का निलंबन रद्द किया जाए। नहीं तो हम इससे भी जोरदार आंदोलन करेंगे, ऐसी चेतावनी भी मर्जिया पठान ने दी है।