उल्लेखनीय हैै कि ठाणे जिला छत्रपति शिवाजी महाराज का चरण पड़ने से पवित्र हो चुका है, जिसके कारण यह जिला ऐतिहासिक धरोहर भी है। कशेली गांव के मैदान में जमीन के नीचे ऐतिहासिक तोप के बारे में इतिहासकार जयकांत शिकरे के शोध एवं रोशन पाटील द्वारा किए गए चर्चा में जानकारी मिली थी। शिवज्योत के सदस्य पिछले 15 दिनों से कशेली गांव में ऐतिहासिक वस्तु की खोज कर रहे थे, जिसमें पिछले रविवार को कशेली स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज क्रीडांगण में दत्त मंदिर एवं श्मशान भूमि के पास खुदाई के दौरान एक तोप मिली थी। शिवज्योत स्तंभ के सदस्यों ने स्वंय श्रमदान करके बाहर निकाली थी।जमीन की खुदाई करने के दौरान शिवज्योत स्तंभ के सदस्यों के हाथ में छाले पड़ गए थे ,लेकिन शिवजी महाराज के प्रति आदर की भावना के चलते सदस्य खुदाई करने में लगे रहे। मिट्टी के अंदर काफी भारी तोप होने के कारण उसे जेसीबी से मिट्टी हटाकर ब्रिटिश कालीन दो तोप बाहर निकाली गई। दोनो तोप बाहर निकलने पर शिवप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
भिवंडी तालुका के कशेली गांव में मिली तोप ब्रिटिश कालीन होने की पुष्टि हुई है ,तोप पर 1798 से 1811 का उल्लेख किया गया है और तोप पर ब्रिटिश राजमुकुट का चित्र बना हुआ है। जिसमें एक तोप 9 फिट 2 इंच लंबी एवं दूसरी तोप 9 फिट 3 इंच लंबी है। शिवज्योत के मार्गदर्शक एवं इतिहासकार जयकांत शिकरे ने आशंका व्यक्त की है क़ि यहां अभी भी चार तोपें होनी चाहिए ,उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया के दौरान उक्त आशंका व्यक्त की है।
शुरू में कशेली गांव के लोग तोप को लेकर प्राचीन खंभा होने की चर्चा कर रहे थे ,लेकिन लोहे का खंभा इतिहास के साक्ष्य होने की पुष्टि के बाद शिवप्रेमी इतिहासकार शिकरे के मार्गदर्शन में शोध मुहिम शुरू किया गया है ,जिसके लिए मुझे अभिमान है, इस प्रकार की प्रतिक्रिया रोशन पाटील अध्यक्ष – शिवज्योत परिवार संगठन ने व्ययक्त किया है।
भिवंडी [ एम हुसैन ] भिवंडी – ठाणे रोड स्थित तालुका के कशेली गांव के मैदान में शिवज्योत स्तंभ के सदस्यों को खुदाई के दौरान ब्रिटिश कालीन की दो ऐतिहासिक तोप मिली है। इस तोप के ऊपर 1798 से 1811 का उल्लेख किया गया है और उसके ऊपर राजमुकुट का चित्र बना हुआ है। ब्रिटिश कालीन तोप मिलने से भिवंडी तालुका के अन्य गांवो की अपेक्षा कशेली गांव का ऐतिहासिक महत्व प्राप्त हुआ है। जिसके कारण यहां के शिवप्रेमियों में आंनद का वातावरण व्याप्त है।
उल्लेखनीय हैै कि ठाणे जिला छत्रपति शिवाजी महाराज का चरण पड़ने से पवित्र हो चुका है, जिसके कारण यह जिला ऐतिहासिक धरोहर भी है। कशेली गांव के मैदान में जमीन के नीचे ऐतिहासिक तोप के बारे में इतिहासकार जयकांत शिकरे के शोध एवं रोशन पाटील द्वारा किए गए चर्चा में जानकारी मिली थी। शिवज्योत के सदस्य पिछले 15 दिनों से कशेली गांव में ऐतिहासिक वस्तु की खोज कर रहे थे, जिसमें पिछले रविवार को कशेली स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज क्रीडांगण में दत्त मंदिर एवं श्मशान भूमि के पास खुदाई के दौरान एक तोप मिली थी। शिवज्योत स्तंभ के सदस्यों ने स्वंय श्रमदान करके बाहर निकाली थी।जमीन की खुदाई करने के दौरान शिवज्योत स्तंभ के सदस्यों के हाथ में छाले पड़ गए थे ,लेकिन शिवजी महाराज के प्रति आदर की भावना के चलते सदस्य खुदाई करने में लगे रहे। मिट्टी के अंदर काफी भारी तोप होने के कारण उसे जेसीबी से मिट्टी हटाकर ब्रिटिश कालीन दो तोप बाहर निकाली गई। दोनो तोप बाहर निकलने पर शिवप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
भिवंडी तालुका के कशेली गांव में मिली तोप ब्रिटिश कालीन होने की पुष्टि हुई है ,तोप पर 1798 से 1811 का उल्लेख किया गया है और तोप पर ब्रिटिश राजमुकुट का चित्र बना हुआ है। जिसमें एक तोप 9 फिट 2 इंच लंबी एवं दूसरी तोप 9 फिट 3 इंच लंबी है। शिवज्योत के मार्गदर्शक एवं इतिहासकार जयकांत शिकरे ने आशंका व्यक्त की है क़ि यहां अभी भी चार तोपें होनी चाहिए ,उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया के दौरान उक्त आशंका व्यक्त की है।
शुरू में कशेली गांव के लोग तोप को लेकर प्राचीन खंभा होने की चर्चा कर रहे थे ,लेकिन लोहे का खंभा इतिहास के साक्ष्य होने की पुष्टि के बाद शिवप्रेमी इतिहासकार शिकरे के मार्गदर्शन में शोध मुहिम शुरू किया गया है ,जिसके लिए मुझे अभिमान है, इस प्रकार की प्रतिक्रिया रोशन पाटील अध्यक्ष – शिवज्योत परिवार संगठन ने व्ययक्त किया है।