ठाणे [ युनिस खान ] जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति मानसिक आरोग्य का संकल्प ले लिया तो किसी भी वायरस या तनाव का प्रभाव कम किया जा सकता है। इस आशय की सलाह केईएम अस्पताल की अधिव्यख्यता डा. शिल्पा आडारकर ने दिया है। कोरोना संक्रमण फैलने से वर्ष 2020 को ख़राब नहीं माना जा सकता है इससे बहुत कुछ सीखने के लिए मिला है।
ठाणे के सरस्वती सेकंडरी स्कूल के सभागृह में आयोजित रामभाऊ म्हालगी व्याख्यान माला के डा. आडारकर अपना व्याख्यान दे रही थी। उन्होंने कोरोना के बाद की स्थिति व मानसिक आरोग्य विषय पर बोलते हुए कहा कि कोरोना काल के लाक डाउन से अनलाक तक जन जीवन में अनेक समस्याएँ आई। कोविड ने वर्क फ्राम होम जैसे शब्द दिए। इससे सोशल मिडिया के साथ वाट्स एप्प यूनिवर्सिटी बढ़ने से स्वालंबन ,एकत्र परिवार पद्दति ,विविधता पूर्ण पाक कौशल्य समेत अनेक कलात्मक अनुभव मिला। इस दौरान एक दुसरे की मदद करने की भावना निर्माण हुई और इस काल ने बहुत कुछ सिखया . धीरे धीरे इस जीवन पद्धति से तंग आकर कोरोना करेगा की नहीं ह पता नहीं लेकिन हम एक दिन एक दुसरे को मरेंगे ऐसे भावना बढ़ने लगी। इस दौरान अनेक लोगों की नौकरी , रोजगार जाने से निराशा के चलते व्यसन बढ़ने से आत्महत्या की घटनाएँ होने लगी। यही नहीं अत्याचार ,बाल शोषण ,तलाक की घटनाएँ बढ़ी। सोशल डिस्टेंसिंग से अकेलापन की भावना बढ़ने से वरिष्ठ नागरिकों में निराशा की भावना ,बच्चों में आक्रमकता , युवाओं में उदासीनता फैलने की समस्या हुई। लाक डाउन में घर काम करने से निरंतर स्क्रीन के सामने रहने से नींद , आँख ,व अन्य शारीरिक समस्या की शिकायते बढ़ी। इन सबके बावजूद वर्ष 2020 को ख़राब कहने से काम नहीं चलेगा। इसी काल में समय का नियोजन , स्वच्छता ,मास्क का नियमित उपयोग , संतुलित आहार की आदत लगने से आरोग्य पर सकारात्मक प्रभाव हुआ है। अनलाक के बाद कुछ लोगों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से कोरोना संक्रमण बढ़ने से आरोग्य व्यवस्था पर भार पड़ा। उन्होंने कहा कि कोरोना से बहुत कुछ सीख भी मिली। डा. आडारकर ने कहा कि प्रत्येक को दीर्घ श्वसन की आदत लगना आरोग्यदायक साबित हुआ। इसके साथ मेरा परिवार मेरी जिम्मेदारी जैसे मेरा मानसिक आरोग्य मेंरी जिम्मेदारी की पहचान करने की जरुरत है।