मुंबई [ युनिस खान ] आक्सीजन की कमी से निपटने के लिए राज्य में हवा से आक्सीजन निर्माण करने वाली 38 पीएसए प्रकल्प शुरू किया है। इससे प्रतिदिन 53 मैट्रिक टन आक्सीजन निर्माण की जा रही हैं। इस आशय की जानकारी राज्य के आरोग्य मंत्री राजेश टोपे ने दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लाट का सामना करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किये गए हैं।
आरोग्य मंत्री टोपे ने बताया है कि कोरोना की दूसरी लाट का सामना करने के लिए आक्सीजन की मांग बढ़ी है। राज्य 1250 मैट्रिक टन आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है जबकि 1750 मैट्रिक टन आक्सीजन की मांग है। जिसे पूरा करने के लिए अन्य राज्यों से आक्सीजन लायी जा रही है। स्थानीय स्तर पर आक्सीजन का निर्माण करने के लिए हवा आक्सीजन शोषित कर मरीजों को देने के लिए तकनिकी उपयोग कर प्लांट शुरू करने का निर्देश राज्य सरकार ने दिया है। आक्सीजन के बारे न राज्य आत्मनिर्भर होने का प्रयास कर रहा है। अब तक जिलाधिकारियों के माध्यम से 150 पीएसए प्लांट के लिए आर्डर दिया गया है। राज्य में इस तरह के 350 प्लांट लगाने का नियोजन है। जिससे 500 मैट्रिक टन आक्सीजन निर्माण का उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि राज्य में शुरू हुए 38 प्लांट में बुलढाना ,वासिम , बीड , लोखंडी सावरगांव , हिंगोली ,जालना , नांदेड ,उस्मानाबाद ,सिन्दुदुर्ग , मुंबई , अलीबाग , रत्नागिरी , गोदिया , अहमदनगर ,शिरपुर ,भुसावल ,नंदुरबार ,शहादा ,सतारा , पुणे ,चिखली , खामगांव ,में जिला अस्पताल ,वैद्यकीय विद्यालय , निजी अस्पताल में प्लांट लगाया गया है। वाशिम, सातारा, हिंगोली, अहमदनगर,भंडारा, अलिबाग, रत्नागिरी, बुलढाणा, उस्मानाबाद व सिंधुदुर्ग के जिला अस्पताल में केंद्र सरकार की मदद से हवा से आक्सीजन शोषित कर शुद्ध कर मरीजो को देने वाले प्लांट लगाये गए हैं। वैद्यकीय आक्सीजन की बढती मांग के चलते कमी पूरा करने प्रकल्प की आक्सीजन का उपयोग के लिए वरदान साबित हो रहा है।