भिवंडी [ एम हुसेन ] भिवंडी महानगर पालिका के प्रभाग समिति क्रमांक एक अंर्तगत विभिन्न क्षेत्रों में भूमाफिया व विकासक दर्जनों की संख्या में अवैध इमारतों का निर्माण कार्य करवा रहे है ,यही नही विकासक अब डीपी रोड़ सहित बावड़ी पर भी अवैध कब्जा कर बहुमंजिला इमारतें मात्र कुछ महिनो में निर्माण कर देने का गोरखधंधा शुरू कर दिया है ।
आनन व फानन में निर्मित अवैध इमारतें 10 से 15 वर्षों में जर्जर हो जाती है.जिसके कारण विकासक को फायदा पहुंचाने के लिए प्रभाग अधिकारियों को एक बार फिर खेल खेलने के लिए मौका मिल जाता है।ऐसी इमारतों में रहने वाले रहिवासी विकासक और मनपा अधिकारियों की सांठगांठ के कारण ठगी का शिकार हो रहे है जो निंदनीय है।इसी प्रभाग समिति में क्लर्क से बनें प्रभारी सहायक आयुक्त दिलीप खाने सब जानते हुए भी क्यों मूकदर्शक बनें हुए है,इस प्रकार का आरोप जर्जर इमारतों के कारण बेघर हुए रहिवासियों द्वारा लगाया जा रहा है।
इसी प्रभाग के बीट निरीक्षक पद पर बिना डिप्लोमा के ही क्लर्क विराज भोईर को प्रभारी चार्ज दिया गया है। जो आज 6 वर्षों से एक ही कुर्सी पर विराजमान है। सूवत्रों की मानें तो विकासकों से इनकी अच्छी खासी पहचान होने के कारण इनके द्वारा निर्माणाधीन अवैध इमारतों पर वसूली व भूभाग अधिकारी के रुप में कार्यरत कर्मचारियों की रिपोर्ट देने के बाद किसी प्रकार से डीपीएल फोलो नहीं करवाते। जिसके कारण मनपा प्रशासन को प्रतिवर्ष इसी प्रभाग से करोड़ों रुपए का राजस्व हानि हो रही है,विभिन्न जगहों पर निर्माणाधीन अवैध इमारतें इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल तथा जर्जर इमारतों पर कार्रवाई और कोर्ट की कार्यप्रणाली में लीन होने का बहाना बताकर सहायक आयुक्त दिलीप खाने व बीट निरीक्षक विराज भोइर स्थानिकों द्वारा अवैध निर्माण की जानकारी देने के बाद भी कार्रवाई नहीं करते है,उलट उनको ही दम देकर शिकायत नहीं करने के लिए कहा जाता है। शिकायत करने पर अंजाम भुगतने की धमकियां भी दी जाती है। इसी प्रभाग में कार्यरत कई कर्मचारियों का कारनामा सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है ,क्या मनपा आयुक्त डाॅ.पंकज आशिया ऐसे भ्रष्ट व रिश्वतखोर कर्मचारियों पर कार्रवाई करेंगे या फिर क्लर्क से बनें प्रभारी सहायक आयुक्त दिलीप खाने की तरह मूकदर्शक बनें रहेगे ? इस प्रकार का प्रश्न जर्जर इमारतों के कारण हुए बेघर हो गए पीड़ितों ने लगाया है।