भिवंडी [ एम हुसेन ] शहर की 15 से 25 साल पुरानी इमारतों को अतिधोकादायक श्रेणी से बाहर रखा जाए,और जो इमारतें वास्तविकता में अतिधोकादायक हैं उनका स्टर्कचर ऑडिट BNCMC अपने निजी खर्च से कराए साथ ही साथ बेघर हुए नागरिकों के रहने का भी प्रबंध करे। इस आशय की मांग एमआयएम भिवंडी जिला कार्याध्यक्ष शादाब उस्मानी ने मनपा आयुक्त डॉ.पंकज आशिया को ज्ञापन प्रस्तुत कर मांग की है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल भिवंडी शहर के धामनकर नाका स्थित जिलानी बिल्डिंग हादसे के बाद से भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका द्वारा भिवंडी शहर की सैकड़ों इमारतों को अतिधोकादायक श्रेणी का नोटिस दिया जा चुका है जिसमें अधिकांश इमारतें 15 से 25 साल ही पुरानी हैं जबकि वास्तविकता में जो इमारतें अतिधोकादायक हैं ऐसी इमारतों को भिवंडी मनपा आजतक पूरी तरह खाली करवा कर तोड़क कार्रवाई नहीं करपाई है ।
भिवंडी मनपा के सहायक आयुक्त द्वारा बिना कारण नई इमारतों को दिए जाने वाले अतिधोकादायक नोटिस की वजह से कर्मचारियों के काम का भार बढ़ गया है जिसकी वजह से वास्तविकता यह है कि अतिधोकादायक इमारतों पर तोड़क कार्रवाई प्रलंबित होती जा रही है, तथा इसके साथ ही भ्रष्टाचार को भी बढावा मिल रहा है। उक्त संदर्भ में एमआईएम ने ज्ञापन द्वारा मनपा आयुक्त डॉ. पंकज आशिया से अनुरोध किया है की जिस तरह उल्हासनगर मनपा ने पालक मंत्री मा.श्री एकनाथ शिंदे से मीटिंग कर ये निर्णय लिया है। उल्हासनगर शहर की 1616 अतिधोकादायक इमारतों में से 1500 इमारतों को बाहर रखा जाएगा और वास्तव में जो 116 इमारतें अतिधोकादायक हैं उनका स्ट्रकचर ऑडिट मनपा अपने निजी खर्चों से करेगी। अगर बिलडिंग को तोड़क कार्रवाई के लिए खाली करने पर बेघर हुए नागरिकों के रहने का प्रबंध भिवंडी राजनोली नाका स्थित टाटा सिटी में करेगी।
जब हमारे ही जिले की एक महानगरपालिका नागरिकों की सुविधा के लिए इस तरह का सराहनी निर्णय ले सकती है तो हमारी भिवंडी मनपा भी इस विषय पर गंभीरता से विचार विमर्श करते हुए नागरिकों को न्याय दे सकती है।इस प्रकार की मांग एमआयएम के भिवंडी जिला कार्याध्यक्ष शादाब उस्मानी ने मनपा आयुक्त डॉ.पंकज आशिया को ज्ञापन प्रस्तुत कर मांग की है।