ठाणे [ युनिस खान ] कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस बार मानसून अधिवेशननिर्णय राज्य सरकार ने लिया है। पुलिस महानिदेशक के कार्यालय ने इस दौरान राज्य में विरोध प्रदर्शन , मोर्चा ,किसी भी गंभीर अपराध को रोकने के लिए अलर्ट जारी किया है। अधिवेशन के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए राज्य के सभी पुलिस बलों को आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसे लेकर ठाणे पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र के हर थाने और अधिकारी को सूचित कर दिया है।
महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल का मानसून सत्र 5 और 6 जुलाई को आयोजित किया गया है। विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन को रोकने का आह्वान किया, जो केवल दो दिनों तक चला। अधिवेशन के दौरान महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अत्याचार, अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार, जाति पंचायतों द्वारा उत्पीडऩ के प्रकार, किसान आत्महत्या, डकैती, जुआ, सट्टेबाजी आदि मुद्दों पर चर्चा की गई। आरक्षण के लिए मराठा और ओबीसी समुदायों की संभावित रैलियां होने की संभावना है। उन मुद्दों पर सदन में चर्चा होती है तो राज्य के गृह मंत्री को जवाब देना होता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखा गया है कि ऐसी कोई अप्रिय घटना और संभावित आंदोलन न हो।
महानिदेशक के पत्र में उल्लिखित घटनाएं और अपराध न हो इसका ध्यान रखा जाए। वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से संभावित गंभीर अपराधों के स्थल का दौरा करें और स्थिति को नियंत्रण में रखें। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इन घटनाओं की सूचना तत्काल टेलीफोन द्वारा राज्य पुलिस नियंत्रण कक्ष, राज्य पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ कानून व्यवस्था विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक और विशेष महानिरीक्षक को दी जानी चाहिए। कहा गया है कि बलात्कार, युवा लड़कियों व महिलाओं पर होने वाले अत्याचार, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज अपराध, दुहा, शराब, मटका, सट्टा आदि की अवैध बिक्री जैसे अवैध व्यापार, आपराधिक गिरोह और गैंगवार, आतंकवादी कृत्य, उनके खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन, पुलिस कदाचार के कारण पुलिस बल की अनुचित बदनामी,सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक बयानों से कानून-व्यवस्था को खतरा, पुलिस हिरासत में आरोपी की मौत, पुलिस के शिकंजे से भाग निकले आरोपी व कार्रवाई, मॉब लिंचिंग की घटनाओं की रोकथाम, सरकार द्वारा किए गए वादे पूरे न होने की स्थिति में होने वाले आंदोलन आदि अपराधों को नियंत्रित रखने का आदेश दिया गया है।
महानिदेशक के पत्र में उल्लिखित घटनाएं और अपराध न हो इसका ध्यान रखा जाए। वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से संभावित गंभीर अपराधों के स्थल का दौरा करें और स्थिति को नियंत्रण में रखें। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इन घटनाओं की सूचना तत्काल टेलीफोन द्वारा राज्य पुलिस नियंत्रण कक्ष, राज्य पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ कानून व्यवस्था विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक और विशेष महानिरीक्षक को दी जानी चाहिए। कहा गया है कि बलात्कार, युवा लड़कियों व महिलाओं पर होने वाले अत्याचार, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज अपराध, दुहा, शराब, मटका, सट्टा आदि की अवैध बिक्री जैसे अवैध व्यापार, आपराधिक गिरोह और गैंगवार, आतंकवादी कृत्य, उनके खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन, पुलिस कदाचार के कारण पुलिस बल की अनुचित बदनामी,सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक बयानों से कानून-व्यवस्था को खतरा, पुलिस हिरासत में आरोपी की मौत, पुलिस के शिकंजे से भाग निकले आरोपी व कार्रवाई, मॉब लिंचिंग की घटनाओं की रोकथाम, सरकार द्वारा किए गए वादे पूरे न होने की स्थिति में होने वाले आंदोलन आदि अपराधों को नियंत्रित रखने का आदेश दिया गया है।