नवी मुंबई [ युनिस खान ] तेजी से विकसित शहर नवी मुंबई की पानी के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोरबे बांध परियोजना को 2002 में पूरा किया गया। आज नवी मुंबई शहर रहने योग्य शहरों की सूची में शीर्ष स्थान पर है। वही पानी बचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए 450 एमएलडी 100 प्रतिशत वैज्ञानिक उपचार के माध्यम से अस्वच्छ पानी को पुनर्प्रक्रिया करने के लिए सी-टेक अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित सात सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
इसमें भी आधुनिकता बनाए रखने वाली केंद्र सरकार की अमृत मिशन परियोजना के तहत कोपरखैरने और ऐरोली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में 20 एमएलडी पानी उपलब्ध कराया जाएगा। टीटीसी औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक समूहों को पुनर्नवीनीकरण पानी की आपूर्ति के लिए पुनार्प्रक्रियाक्रित पानी उपलब्ध कराने की योजना है। यह कार्य 2017 में शुरू किया गया है और इस वर्ष के अंत तक परियोजना दिसंबर 2021 तक चालू हो जाएगी और एमआईडीसी क्षेत्र के वाशी, कोपरखैरने और ऐरोली क्षेत्रों में औद्योगिक समूहों को पुनार्प्रक्रियाक्रित स्वच्छ पानी की आपूर्ति की जाएगी।
बताया गे है कि पानी की गुणवत्ता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गुणवत्ता मानकों से बेहतर है और एमआईडीसी द्वारा टीटीसी औद्योगिक क्षेत्र को आपूर्ति किए जाने वाले पानी के बराबर है। सरकार ने इसे केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत मंजूरी दी है। यह परियोजना केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और नवी मुंबई मनपा द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित की जा रही है।
इस संबंध में नवी मुंबई मनपा और एमआईडीसी के बीच समझौता हुआ है। मनपा आयुक्त डा अभिजीत बांगर और एमआईडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा पी अनबलगन की मंजूरी से मनपा के शहर अभियन्ता संजय देसाई और एमआयडीसी के मुख्य अभियंता सुधाकर वाघ ने हस्ताक्षर किया है। समझौते के अनुसार टीटीसी क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों को 18 . 50 की दर से आपूर्ति किया जायेगा। इससे नवी मुंबई मनपा को 15 वर्ष में 494 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होगा।
इसमें भी आधुनिकता बनाए रखने वाली केंद्र सरकार की अमृत मिशन परियोजना के तहत कोपरखैरने और ऐरोली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में 20 एमएलडी पानी उपलब्ध कराया जाएगा। टीटीसी औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक समूहों को पुनर्नवीनीकरण पानी की आपूर्ति के लिए पुनार्प्रक्रियाक्रित पानी उपलब्ध कराने की योजना है। यह कार्य 2017 में शुरू किया गया है और इस वर्ष के अंत तक परियोजना दिसंबर 2021 तक चालू हो जाएगी और एमआईडीसी क्षेत्र के वाशी, कोपरखैरने और ऐरोली क्षेत्रों में औद्योगिक समूहों को पुनार्प्रक्रियाक्रित स्वच्छ पानी की आपूर्ति की जाएगी।
बताया गे है कि पानी की गुणवत्ता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गुणवत्ता मानकों से बेहतर है और एमआईडीसी द्वारा टीटीसी औद्योगिक क्षेत्र को आपूर्ति किए जाने वाले पानी के बराबर है। सरकार ने इसे केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत मंजूरी दी है। यह परियोजना केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और नवी मुंबई मनपा द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित की जा रही है।
इस संबंध में नवी मुंबई मनपा और एमआईडीसी के बीच समझौता हुआ है। मनपा आयुक्त डा अभिजीत बांगर और एमआईडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा पी अनबलगन की मंजूरी से मनपा के शहर अभियन्ता संजय देसाई और एमआयडीसी के मुख्य अभियंता सुधाकर वाघ ने हस्ताक्षर किया है। समझौते के अनुसार टीटीसी क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों को 18 . 50 की दर से आपूर्ति किया जायेगा। इससे नवी मुंबई मनपा को 15 वर्ष में 494 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होगा।
मनपा आयुक्त बांगर ने कहा है कि वर्तमान में मनपा के 7 अत्याधुनिक सीवेज उपचार संयंत्रों में उपचारित जल का उपयोग बगीचों में फूलों के साथ-साथ डिवाइडर में पेड़ों के लिए किया जा रहा है जिससे पीने के पानी की बचत होती है। भविष्य में, कोपरखैरने और ऐरोली में उपचार परियोजना के चालू होने के बाद, एमआईडीसी क्षेत्र में औद्योगिक समूहों को आपूर्ति किए जाने वाले पानी की भी बचत होगी। यह पानी नागरिकों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। साथ ही औद्योगिक समूहों के लिए रिसाइकिल पानी लेकर आपूर्ति की जाने वाली पानी की मात्रा एनएमएमसी को उपलब्ध होगी। यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण और नागरिक सुविधाओं की पूर्ति के लिए मनपा के पास उपलब्ध धन दोनों की दृष्टि से लाभकारी है।