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राकांपा प्रमुख के घर पर हुए हमले से महाराष्ट्र की गरिमा शर्म से गिरी –  डा जितेन्द्र आव्हाड 

 ठाणे [ युनिस खान ] राकांपा प्रमुख शरद पवार के निवास पर हमला करने के लिए कौन भड़का रहा है यह हमारे लिए गौण है। जो कुछ हुआ है उससे महाराष्ट्र की गरिमा शर्म से गिर गई है। इस आशय की प्रतिक्रिया राकांपा नेता व राज्य के गृहनिर्माण मंत्री डा जितेन्द्र आव्हाड ने व्यक्त किया है। राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के घर पर हुए हमले का हर स्तर से विरोध हो रहा है। डा आव्हाड ने पत्रकारों से बात करते हुए इस कृत्य की निंदा की है।
       डा आव्हाड ने कहा कि एसटी कर्मचारियों की हड़ताल का फैसला कल हाई कोर्ट में हुआ। कोर्ट के बाहर एसटी स्टाफ ने न्याय के देवता की जय-जयकार की और कहा कि हम जीत गए, और आज वही हुआ। मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता कि ऐसा क्यों हुआ, कैसे हुआ।  लेकिन, जिस तरह से शरद पवार के निजी घर जिसमें उनकी बुज़ुर्ग पत्नी , बेटी , नाती-पोते रहते हैं। उस इमारत में अचानक घुसपैठ लोकतंत्र की पहली हत्या है।  महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति में ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि 1993 में गोपीनाथ मुंडे ने शरद पवार की आलोचना की थी। यह महसूस करते हुए कि इस मौखिक हमले के उस समय गंभीर परिणाम हो सकते हैं। शरद पवार ने उस समय  दोपहर 2 बजे पुलिस की बैठक बुलाई और गोपीनाथ मुंडे की सुरक्षा दोगुनी कर दी। यह महाराष्ट्र की राजनीति का ‘स्पर्श’ है।  शरद पवार बड़े दिल वाले नेता हैं। महाराष्ट्र में राजनीतिक आलोचना के बाद भी निजी जीवन का सम्मान करने की संस्कृति है। महाराष्ट्र जिसने समझदार राजनीति देखी है।  अगर महाराष्ट्र में ऐसा होने जा रहा है तो यह कहना मुश्किल है कि आगे की राजनीति क्या होगी।
        यह पूछे जाने पर कि क्या हमले के पीछे राजनीतिक ताकत थी, उन्होंने कहा, ‘यह सवाल नहीं है कि इसके पीछे राजनीतिक ताकत है या नहीं।  लेकिन, यह कोई है जिसने ऐसा किया होगा।  क्या उसे लगता है कि वह सुरक्षित है? उन्होंने कहा कि एक कहावत है, जो तलवार के बल पर जीते हैं, वे तलवार से मरते हैं। आप किसी के घर पर इस तरह हमला करके लोगों का दिल नहीं जीत सकते।  उल्टे लोग अपने को ठगा सा महसूस करने लगे हैं।  क्या घर में घुसे इन एसटी कर्मचारियों का सुप्रियाताई से आमना-सामना नहीं हुआ?  उनमें शरद पवार का खून है।  यह राजनीति मौलिक रूप से गलत है। मुझे इस तरह की चीज़ से नफरत है। महाराष्ट्र की धरती पर हर कोई इससे नफरत करेगा।

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