ठाणे [ युनिस खान ] राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के घर पर कायरतापूर्ण हमले के विरोध में आज गृहनिर्माण मंत्री डा जितेंद्र आव्हाड के मार्गदर्शन में और शहर अध्यक्ष आनंद परांजपे के नेतृत्व में राकांपा कार्यकर्ताओं ने महात्मा गाँधी के पुतले के समक्ष मौन विरोध प्रदर्शन किया। इस मौके पर डा आव्हाड ने महाराष्ट्र की मिट्टी जीना और जीवित रहना सिखाती है; इसलिए अगर हम अराजकता पैदा करने की कोशिश भी करते हैं, तो भी महाराष्ट्र की धरती इस अराजकता को बर्दाश्त नहीं करेगी।
राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार के घर पर शुक्रवार को एसटी कर्मचारियों द्वारा हमला किये जाने के विरोध में राकांपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। जिसे लेकर शनिवार को राकांपा कार्यकर्ताओं ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर महात्मा गांधी के पुतले के सामने मौन विरोध प्रदर्शन किया है।
इस अवसर पर डा आव्हाड ने कहा की कल हमने कहा था कि हमारे कार्यकर्ता कानून अपने हाथ में नहीं लेंगे , क्योंकि हम एसटी कर्मचारियों के खिलाफ नहीं हैं। बहरहाल, आज मैंने तीन एसटी मजदूर संघों की खबर पढ़ी। शुक्रवार को जो हुआ उसकी तीनों संगठनों ने निंदा की है। जिन्होंने शुक्रवार को हमला किया था उनमें से कई के खून में अल्कोहल पाया गया था। कल की घटना ने महाराष्ट्र को झकझोर कर रख दिया है। महाराष्ट्र में ऐसा कभी नहीं हुआ। शरद पवार शुक्रवार को घर पर आराम कर रहे थे। उस वक्त घर में शरद पवार की बुजुर्ग पत्नी और पोती तीन ही थे। इसी दौरान इन लोगों ने घर पर हमला कर दिया। बाहर भीड़ को देखकर पोते ने दरवाजा बंद कर लिया। क्या भयानक बात होती अगर इन हमलावरों ने दरवाजा तोड़ दिया होता ,बहरहाल, हम सब गांधीवादी हैं।
अब ऐसा प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी की हत्या के समय समाज में जो जहर बोया गया था, वह वल्लभभाई पटेल ने अपने पत्र में लिखा था कि गांधीजी की हत्या से पहले कुछ लोगों ने समाज में जहर बोया था। इसलिए गांधी की हत्या की गई। ऐसा जहर अभी भी जारी है। इस घटना के बाद बीजेपी नेता ने शरद पवार की आलोचना करते हुए फ्रांस की क्रांति का सबूत दिया है। लेकिन, हम उन्हें बताना चाहते हैं कि गिलोटिन के तहत लुईस सोलहवें और मैरी एंटनी सहित 50,000 लोगों का सिर कलम कर दिया गया था। क्या ये लोग महाराष्ट्र में भी ऐसा ही करना चाहते हैं? अमरावती के एक नेता ने जिस तरह से बात की है। कुछ लोग महाराष्ट्र में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। जो लोग कहते हैं कि पवार के बुरे दिन शुरू हो गए हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि हम पवार जितने अच्छे नहीं हैं। आलोचकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि महाराष्ट्र की राजनीति पवार के इर्द-गिर्द घूमती है। महाराष्ट्र लोकतंत्र है चार पीढ़ियां हैं जो पवार से प्यार करती हैं। वे पुलिस की घेराबंदी में नहीं रहते हैं। अगर हिम्मत है तो फ्रांसीसी क्रांति की तरह काम करो, यह हमारी खुली चुनौती है। लोग दिखाएंगे कि अब किसके बुरे दिन हैं।
इस बीच आनंद परांजपे ने कहा कि शरद पवार के घर पर कायरतापूर्ण हमला किया गया। प्रदर्शनकारियों ने सुप्रियाताई सुले को भी धक्का दिया। इन सबके विरोध में ये मौन प्रदर्शन किया गया है। इस मौन प्रदर्शन में राकांपा के पूर्व नगर सेवकों , पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।