



नवी मुंबई [ युनिस खान ] महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम 1959 की धारा 39 के तहत कोंकण विभाग के कुल 12 सरपंचों, उप सरपंचों और सदस्यों को उनके पदों से हटाया गया है। इस आशय की कार्रवाई कोकण विभागीय आयुक्त विलास पाटिल ने किया है। कोंकण विभाग के तहत ग्राम पंचायतों के खिलाफ यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
कोंकण विभाग के अंतर्गत आने वाले ठाणे , रायगढ़ ,,रत्नागिरी , सिंधुदुर्ग में कुल 35 सरपंचों, उप सरपंचों और सदस्यों के दुर्व्यवहार पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम 1959 के तहत आयुक्त विलास पाटिल के समक्ष 15 फरवरी 2022 को सुनवाई हुई। इनमें से 16 मामलों का निस्तारण किया गया। ठाणे जिले के मुरबाड तालुका में न्हावे , पालघर जिले के वाडा-खुपरी, रायगढ़ जिले के कर्जत तालुका में वसई-मालजीपाड़ा, नदगांव, रोहा-कडसुरे, महाड-अंबिवली, पेन-रावे, संगमेश्वर-सखरपा जिला रत्नागिरी, राजापुर -अजीवली, सिंधुदुर्ग जिला , सावंतवाडी शेर्ले , देवगड-कोटकामते, नारीग्रे 12 ग्राम पंचायतों के सरपंचों और सदस्यों को उनके पदों से हटाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही कुछ प्रकरणों में विभागीय आयुक्त ने 18 सितम्बर 2019 के शासकीय शुद्धिपत्र के अनुसार सरपंच के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने तथा संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम सेवक/ग्राम विकास अधिकारी से भी पूछताछ करने का आदेश दिया है।
इन 16 फैसलों में से 2 मामलों को महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम 1959 की धारा 39 के तहत खारिज कर दिया गया है। साथ ही, महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम 1959 की धारा 40 के अनुसार, पालघर जिले के वसई-कलांब और रायगढ़ जिले के सुधागढ़-अदुलसे के 2 सदस्यों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। ग्राम पंचायतों में ऐसा कदाचार बेहद गंभीर मामला है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को यह नियंत्रित करना चाहिए कि संबंधित समूह विकास अधिकारी और विस्तार अधिकारी ग्राम पंचायत का दौरा करते हैं या नहीं। ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितता की घटना न हो।