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मेडिका की ‘ब्लैडर कैंसर सपोर्ट ग्रुप’ कैंसर रोगियों को देगा एक नया जीवन 

~ ब्लैडर कैंसर दुनिया का 9 वां सबसे आम कैंसर है ~ 

मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] इस साल के ब्लैडर कैंसर जागरूकता महीने में, मेडिका ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स, पूर्वी भारत की सबसे बड़ी निजी अस्पताल श्रृंखला, ने शुक्रवार, 13 मई को मेडिका में ब्लैडर कैंसर से बचे लोगों के लिए एक ‘ब्लैडर कैंसर सपोर्ट ग्रुप’ की स्थापना की घोषणा की| मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के इस कार्यक्रम में, यूरोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी के प्रमुख डॉ. अभय कुमार ने कुछ मिथकों और तथ्यों के साथ साथ उन संकेतों पर प्रकाश डाला जो ब्लैडर कैंसर यानि मूत्राशय के कैंसर का संकेत दे सकते हैं। इस कार्यक्रम में कुछ वास्तविक जीवन के नायकों को भी देखा गया, जिन्होंने कैंसर से लड़ाई लड़ी है, सामाजिक दबावों और आर्थिक प्रतिकूलताओं सहित तमाम बाधाओं को पार भी किया है, और अभी भी मैदान ए जंग को छोड़ा नहीं है। घोषणा के बाद, कैंसर से बचे लोगों ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के लिए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की मेज़बानी भी की।

ब्लैडर कैंसर के प्रति जागरूकता क्यों बढ़ाएं? 

  1. पश्चिम बंगाल भारत में प्रमुख मूत्राशय कैंसर राज्यों में से एक है
  2. इनवेसिव ब्लैडर कैंसर दुनिया भर में सालाना 430,000 व्यक्तियों को प्रभावित करता है
  3. आज दुनिया भर में लगभग 2.7 मिलियन लोगों को मूत्राशय का कैंसर है
  4. तम्बाकू धूम्रपान का इतिहास, सुगंधित अमाइन और कार्बन ब्लैक डस्ट जैसे संभावित कार्सिनोजेन्स के औद्योगिक संपर्क, और आर्सेनिक-दूषित या क्लोरीनयुक्त पानी का लंबे समय तक पीने वाले व्यक्तियों को ज़्यादा ख़तरा रहता है|

घंटे भर चलने वाले इस कार्यक्रम और इंटरेक्टिव सत्र ने दर्शकों को चिकित्सकीय रूप से उन्मुख विषयों के बारे में बताते हुए, इस कैंसर के लक्षणों के बारे में बताया और हो जाने पर इसे कैसे मानेज किया जाए वो भी बताया ताकि भला चंगा रहा जा सके|

इस मौके पर अपना वक्तव्य पेश करते हुए, डॉ. अभय कुमार, यूरोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, रोबोटिक सर्जरी, मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, ने कहा कि डोंट गो रेड गो टू  डॉक्टरइस वर्ष के ब्लैडर कैंसर जागरूकता महीने का विषय है, जो हमारे जीवन में आने वाली शर्मिंदगी पर काबू पाने पर केंद्रित है। हम अक्सर चर्चा करने या पेशेवर मदद लेने से हिचकिचाते हैं क्योंकि इसके लक्षण मूत्र पथ के संक्रमण के समान ही होते हैं। जागरूकता की कमी के कारण अकेले भारत में हर साल तकरीबन 20,000 नए मामले सामने आते हैं। अगर जल्दी पता चल जाए तो इस प्रकार के कैंसर का इलाज किया जा सकता हैहालांकिट्यूमर की पुनरावृत्ति का खतरा होता हैजिसके लिए नियमित निगरानी की आवश्यकता होती है।

उन्होंने आगे ये भी कहा कि  ब्लैडरकैंसरआमकैंसरहैऔरउपचारकेलिएइसमेलंबेसमयतकफॉलोअपकीज़रूरतपड़तीहै,जिससेव्यक्तिऔरपरिवारकोकाफीचिंताहोतीहै,जोतनावकोऔरभीबढ़ादेतीहै|रोगीकेलिएमनकाएककथितमानसिकढांचाहोनाचाहिए,लिहाज़ादेखभालकरनेवालोंकोबहुतज़्यादासहायताप्रदानकरनीचाहिए।नतीजतनइसेएकसहायतासमूहकीआवश्यकताहोतीहैजोपूर्वीभारतमेंज़्यादामौजूदनहींहै।परिणामस्वरूपब्लैडरकैंसर

जागरूकता महीने के सम्मान मेंहमने मरीज़ों और देखभाल करने वालों को बीमारीउपचार और परिणामों को समझने में मदद करने के लिए इस सहायता समूह की स्थापना की है। 

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