ठाणे [ युनिस खान ] ठाणे मनपा और कल्याण-डोंबीवली मानपा के शिक्षा अधिकारी ने आरटीई के तहत दाखिल बच्चों को नि:शुल्क स्कूल सामग्री, यूनिफॉर्म और पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टीज एसोसिएशन (मेस्टा) ने आदेश के खिलाफ आवाज उठाते हुए संगठन के अध्यक्ष डा संजयराव तायडे पाटिल ने न्याय नहीं मिलने पर सड़कों पर उतरने और कोर्ट जाने की चेतावनी भी दी है।
गुणवत्तापूर्ण स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों को आरटीई के तहत 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इसके तहत प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। ठाणे और कल्याण डोंबिवली मनपा के शिक्षा अधिकारियों आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक , गणवेश व शिक्षा साहित्य स्कूलों की ओर से मुफ्त मुहैया करने का आदेश जारी किया है। इसका विरोध करते हुए मेस्टा के अध्यक्ष डा तायडे पाटील ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस तरह का आदेश सिर्फ ठाणे और कल्याण डोंबिवली मनपा की ओर नया आदेश जारी किया गया है। राज्य में इन दो मनपा को छोड़ ऐसा कहीं नहीं है। कोई नीतिगत निर्णय लेने का अधिकारी राज्य सरकार को है लेकिन अधिकारी न होने के बावजूद शिक्षा अधिकारीयों ने इस आशय का परिपत्र जारी किया है। इस अवसर पर मेस्टा अध्यक्ष डा संजयराव तायडे पाटिल, मेस्ता ठाणे जिला कोर कमेटी के सदस्य नरेश पवार, साईनाथ म्हात्रे, नरेश कोंडा और उत्तम सावंत उपस्थित थे।
डा पाटिल ने कहा कि प्रशासन का यह फैसला अन्यायपूर्ण है। दरअसल, जब इन बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है तो यह फैसला दूसरों पर क्यों थोपा जाता है? छात्रों को फीस के रूप मिलने वाली निधि सरकार के पास बकाया है। वह कुछ स्कूलों को मिलती है और अनेक स्कूलों को सरकार से मिलने वाली निधि नहीं मिली है। दो वर्ष से कोरोना के चलते स्कूल बंद रहे आन लाइन शिक्षा शुरू थी। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों पर मुफ्त शैक्षिक सामग्री और गणवेश का यह अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जा रहा है। उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए मांग की है कि इस तुगलकी आदेश को तत्काल वापस लिया जाए। नहीं तो हमें न्याय पाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।