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सामान्य लोकल ट्रेनें कम किया तो माध्यम वर्ग रेलवे को सबक सिखाएगा- डा जितेंद्र आव्हाड

ठाणे [ युनिस खान ] रेलवे देश का एक ऐतिहासिक ‘गैंडा’ है जिसे  धूप, बारिश, इंजेक्शन आदि का प्रभाव नहीं होता है। इस आशय का बयान देते हुए राकांपा विधायक डा जितेन्द्र आव्हाड ने  कहा है कि अगला आंदोलन हमारे हाथ में नहीं है अब  यह लोगों के हाथ में है।  मध्यम वर्ग अब रेलवे से नाराज़ है रेलवे को सबक सिखाए बिना नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सुबह के समय सभी यात्री आधा घंटा पहले आ जाएं और रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बैठ जाएं तो क्या होगा। निहत्थे लोगों को डराने के लिए यात्रियों के सामने सशस्त्र पुलिस को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।
           वे पत्रकारों द्वारा एसी लोकल को लेकर पूछे गए एक सवाल के बारे में बात कर रहे थे।  उन्होंने कहा कि एसी लोकल के खिलाफ पहला आंदोलन कलवा से शुरू हुआ। इसके बाद यह बदलापुर और ठाणे में हुआ।  लेकिन, सबसे ज्यादा रिस्पॉन्स ठाणे से मिल रहा है। सुबह 9:30 बजे ठाणे निकलने वाली एक लोकल ट्रेन को रद्द कर दिया गया है।  मंत्रालय के सभी कर्मचारी इसी लोकल से मुंबई जाते थे। उसी लोकल के समय पर अब एसी लोकल पर चल रही है।  हमारा मतलब है कि 100 एसी ट्रेनें चलाएँ;  लेकिन सामान्य यात्रियों , गरीब, मजदूर वर्ग के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। इससे शांत वातावरण और भी ज्यादा भड़क सकता है। एसी लोकल को अच्छा रिस्पांस मिलने की खबर रेलवे की ओर से प्रसारित की जा रही है। लेकिन एसी लोकल खाली चल रही है।
          उन्होंने कहा कि रेलवे द्वारा एसी लोकल को अच्छी प्रतिक्रिया का दावा झूठा है। क्योंकि, जब हम रेलवे अधिकारियों से मिले तो उन्होंने खुद कहा कि एक एसी लोकल में 570 यात्री ही सफर करते हैं।उन्होंने कहा कि लोग मांग करें तो उस एसी लोकल को चलाएं। लेकिन हमारे मार्ग पर चलने वाली सामान्य लोकल ट्रेन को बंद नहीं कर सकते।  कलवा कारशेड से निकल कर चलने वाली सामान्य लोकल ट्रेनें थी जिन्हें बंद कर दिया गया और उनकी जगह एसी लोकल ने ले ली है।  ठाणे स्टेशन पर एक बार में करीब 5 से 6 हजार लोग खड़े होते हैं।  वे एसी लोकल में सवार नहीं होते हैं।  फिर रेल प्रशासन को जवाब देना चाहिए कि वे किस लोकल में सवार होंगे।  यह मुद्दा किसी राजनीतिक दल या कलवा-मुंब्रा तक सीमित नहीं है।  अब देखने में आ रहा है कि इस बात को लेकर हर स्टेशन पर यात्री नाराज हो रहा है। भीड़भाड़ के कारण मृत्यु दर बढ़ रही है।  डा आव्हाड ने कहा कि हम दलगत राजनीति के बिना केवल रेल यात्रियों का मुद्दा उठा रहे हैं।  उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें उनकी कोई राजनीतिक भूमिका नहीं है।

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