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भारतीय ओबीसी महासभा ने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को भारतरत्न देने की माँग की

लखनऊ [ अमन न्यूज नेटवर्क ] पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मण्डल कमीशन की सिफारिश के अनुसार ओबीसी को 27 प्रतिशत कोटा सरकारी सेवाओं व उपक्रमों में देकर पिछडों की तस्वीर व तक़दीर बदल दिए. उनकी 14वीं पुण्यतिथि पर याद करते हुए भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. लौटनराम निषाद ने कहा कि सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बड़ा निर्णय लेकर आधुनिक काल के गौतम बुद्ध बन गए. उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि उन्होंने जिनके लिए अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी को लात मार दिए वे पिछड़े भी उनके साथ खड़े नहीं हुए. सवर्णों के लिए खलनायक व अछूत जरूर बन गए.
              निषाद ने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री मोदी जी अपने को पिछड़ी जाति का होने पर गर्व करते हैं. वे भी वीपी सिंह की मंडलवादी राजनीति के कारण ही बन पाए हैं. वीपी सिंह क्षत्रिय होते भी कुर्सी की परवाह न करते हुए 52 प्रतिशत वंचित वर्ग को न्याय देने किये चुनाव घोषणा पत्र के वादे को पूरा कर भारतीय राजनीति की नई इबारत लिख दिए. उन्होंने कहा कि वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी जी मे अपने को ओबीसी होने का एहसास होगा तो पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की को भारतरत्न देने की सिफारिश करेंगे और संसद परिसर में वीपी सिंह ,बीपी मण्डल व अर्जुन सिंह की प्रतिमा स्थापित कराएंगे.
             निषाद कहा कि वीपी सिंह व अर्जुन सिंह ने असली क्षत्रिय होने का परिचय देते हुए नौकरियों व केन्द्रीय तथा उच्च शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण कोटा दिए।मण्डल कमीशन की सिफारिश लागू करते हुए कहा कि हमने माँ के पेट से बच्चे को बाहर निकाल दिया है. अब किसी की औकात नहीं कि बच्चे को माँ के पेट में डाल दे. उन्होंने असलियत उजागर करते हुए कहा था कि-तितलियों के जन्म के लिए केंचुए को मरना पड़ता है और हमने गोल के लिए पिच पर गेंद को किक मार दिया है. भले ही मेरा पैर टूट गया. वर्तमान में पूरे देश की राजनीति मण्डल के ही इर्द-गिर्द घूम रही है.
          निषाद ने कहा कि बीपी मण्डल  बिहार के पहले शूद्र मुख्यमंत्री’ थे. वे देश के पहले ही आम चुनाव (1952) में मधेपुरा से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे. तब मंडल कांग्रेसी हुआ करते थे लेकिन 1965 में पिछड़ी जातियों के खिलाफ पुलिसिया अत्याचार को मुद्दा बनाकर पार्टी छोड़ दी और सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। काफी राजनीतिक कलाबाजियों के बाद वह 1 फरवरी, 1968 को बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.
       उन्हीं दिनों बरौनी रिफाइनरी से रिसकर तेल गंगा नदी में पहुंच गया और आग लग गयी. तब बिहार विधान सभा में पंडित बिनोदानंद झा ने कहा था ”शूद्र मुख्यमंत्री बना है तो गंगा में आग ही लगेगी. ”भारत सरकार द्वारा गठित दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता बी.पी. मंडल ने ही की थी. इसलिए आयोग को मंडल कमीशन के नाम से भी जाना जाता है. मंडल कमीशन की कई सिफारिशों में से एक अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण देना भी था.
       प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने रिपोर्ट की सिफारिश को लागू कर दिया. उस फैसले के बाद से आज तक आरक्षण भारतीय राजनीति की धुरी बना हुआ है. आज मण्डल की ही देन रही कि भाजपा से कल्याण सिंह, उमा भारती, बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने और वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं. झारखण्ड, छत्तीसगढ़  व राजस्थान की सरकार ने ओबीसी आरक्षण विस्तारीकरण के लिए विधेयक पारित किया है.

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