ठाणे [ इमरान खान ] मनपा के प्रभारी सहायक आयुक्त से मारपीट करने के वाले राकांपा कार्यकर्ताओं समेत विधायक डा जितेन्द्र आव्हाड के खिलाफ भादवि की धारा 307 के तहत मामला दर्ज करने को न्यायालय ने संदेहास्पद माना है। ठाणे पुलिस द्वारा इस तरह के झूठे मामले अक्सर दायर किए जाते हैं। इस तरह से अपराध दर्ज करने वाला पुलिस आयुक्त अब हमें जनरल डायर जैसा लगने लगा है। इसलिए वह हमें पुलिस ग्राउंड में बुलाकर हमें सीधे गोली मार देनी चाहिए। ठाणे शहर जिला राकांपा अध्यक्ष आनंद परांजपे ने चेतावनी देते हुए कहा कि अब पुलिस के खिलाफ जनद्रोह होगा।
15 फरवरी को मनपा के प्रभारी सहायक आयुक्त महेश आहेर का एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था जिसमें खुलासा हुआ है कि पूर्व मंत्री व विधायक डा आव्हाड की बेटी और दामाद को सुपारी देने को लेकर महेश आहेर से बातचीत हुई थी। उसके बाद राकांपा के चार कार्यकर्ताओं ने विरोध जताने के लिए महेश आहेर पर हमला कर दिया। इस मामले में पुलिस ने डा जितेन्द्र आव्हाड समेत चार कार्यकर्ताओं के खिलाफ भादवि की धारा 307,353 के तहत अपराध दर्ज किया था। इस मामले में कोर्ट ने एक ऐसी टिप्पणी दर्ज की है जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है। यह जानकारी आनंद परांजपे ने दी।
परांजपे ने कहा है कि डा आव्हाड को जमानत का फैसला सुनाते हुए न्यायालय किसी भी चित्रण में कोई हथियार दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि पिटाई हाथ और घूंसों से की गई थी। चूंकि किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया था, इसलिए हत्या का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है और आईपीसी की धारा 307 संदिग्ध है। आंदोलन में संसदीय शब्दों का प्रयोग करने पर भी 11 थानों में अपराध दर्ज किए गए जिसमें10 में से अपराधों को रद्द कर दिया गया है। परांजपे ने कहा है कि तीनों अपराधों में अदालत की टिप्पणियों ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि ठाणे पुलिस का इस्तेमाल झूठे मामले दर्ज करने के लिए किया जा रहा है।