ठाणे [ इमरान खान ] मनपा की स्वास्थ्य सेवा अव्यवस्था के चलते छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल के कुछ अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। इस गैरजिम्मेदाराना प्रबंधन और 15 साल से अकेले दम पर मनपा की सत्ता का संचालन करने वाले भी उतने ही जिम्मेदार हैं। इस आशय की प्रतिक्रिया शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के उपजिला प्रमुख संजय घाडीगांवकर ने व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि नागरिकों के स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए काम करने की आवश्यकता है।
घाडीगांवकर ने कहा है कि कलवा की छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की हमारी बार-बार की मांग और आंदोलन के बावजूद मुख्यमंत्री शिंदे ने ध्यान नहीं दिया। पिछले पंद्रह वर्षों से, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ठाणे मनपा के प्रशासन पर पकड़ है। अगर उनके सत्ता में रहने के बावजूद ठाणे शहर में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ और मरीजों को अभी भी केईएम, सायन, जेजे अस्पताल और मुंबई मनपा के अन्य अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है, तो मुख्यमंत्री ने ठाणे नगर निगम में क्या किया? पिछले 18 वर्षों से मनपा में इनके अपने लोग सत्ता में रहे हैं। इसका जवाब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को देना चाहिए। सिर्फ एक नवनियुक्त अधिकारी को निलंबित करने से काम नहीं चलेगा।
आम लोगों को अभी भी स्वास्थ्य देखभाल के लिए मुंबई जैसी जगहों पर जाना पड़ता है।ठाणे सहित महाराष्ट्र राज्य के हजारों आम नागरिक मुंबई मनपा के उन्हीं अस्पतालों में इलाज कराते हैं। मेरी मांग और प्रयास के अनुसार ठाणे मनपा क्षेत्र में एमआयडीसी , वागले इस्टेट में राज्य कर्मचारी बीमा योजना का 450 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाने के लिए 2016 में सरकार से प्रारंभिक स्वीकृति प्राप्त नियोजित अस्पताल का काम क्यों किया गया या रोका गया? उसकी रिपोर्ट मनपा भवन से क्यों गायब हो गई है? ठाणे मनपा में स्वास्थ्य व्यवस्था मुख्यमंत्री के कमजोर नेतृत्व का उदाहरण है। इस आशय का बयान घाडीगांवकर ने दिया है।