मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] इस अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यूएन की थीम डिजिटआल: ‘लैंगिक समानता के लिए नवोन्मेष एवं तकनीकी,’ के तहत होम क्रेडिट इंडिया, अग्रणी वैश्विक कंज्यूमर फाइनेंस प्रदाता कंपनी की स्थानीय शाखा, उत्तरदायी व डिजिटल आधारित फाइनैंस के जरिए एफोर्डबल क्रेडिट तक पहुंच बनाने के लिए वित्तीय समावेशन व लैंगिक समानता के प्रति अपने संकल्प को दोहरा रहा है। यूएन की महिला थीम के साथ कदमताल करते हुए दिसंबर 2022 में जारी होम क्रेडिट की सालाना हाऊ इंडिया बारोज (एचआईबी) स्टडी, ने दर्शाया है कि बदलते समय में भारत की महिलाएं खासकर मेट्रोज, टीयर 1 एवं 2 शहरों में, तकनीक व कन्ज्यूमर फाइनैंस के डिजिटल उभार को अपना रही हैं।
भारत में परंपरागत रुप से महिलाओं को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बनाने में बाधाओं का सामना करना पड़ता रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में यह बदल रहा है। एचआईबी स्टडी बताती है कि 2022 में 49 फीसदी महिला ऋण प्राप्तकर्त्ताओं ने ऋण प्रक्रिया को पूरा करने के आनलाइन यात्रा का सहारा मोबाइल एप्स के जरिए लिया जो सहजता व पहुंच को लेकर मजबूत प्रथामिकता की प्रमुखता को दिखाता है। 2021 में 34 फीसदी महिलाओं के लिए डिजिटल ऋण प्राथमिकता में शामिल था। इसके अतिरिक्त 59 फीसदी महिलाओं के स्मार्ट फोन में किसी न किसी तरह का वित्तीय एप है जो कि पुरुषों से कुछ ही फीसदी अंक (64%) पीछे है और इंटरनेट बैंकिंग (41%) पर मोबाइल बैंकिंग (52%) को प्राथमिकता दी है।
वित्तीय सेवाओं के डिजिटाइजेशन को अपनाने की प्रवृत्ति स्टडी का एक अन्य बड़ा सकारात्मक पहलू है जो खुलासा करता है कि 55 फीसदी से अधिक महिलाओं की रुचि एम्बेडेड फाइनैंस में है जिससे कि वो अफोर्डबल फाइनैंसिंग के जरिए अपने आनलाइन शापिंग के बिलों को ईएमआई में बदल सकती हैं। यह अन्य निष्कर्षों के साथ जुड़ा है जैसे कि 41 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 38 फीसदी महिला ऋण प्राप्तकर्त्ताओं ने भविष्य में ऋण आवेदन वाट्सअप चैट के जरिए करने में रुचि दिखाया और 24 फीसदी महिलाओं ने चैटबाट से परिचय व विश्वास जताया जोकि 2021 के 18 फीसदी के मुकाबले अधिक है जबकि केवल 6 फीसदी ने इस माध्यम पर अविश्वास जताया।
कुल मिलाकर करीब दो तिहाई या 66 फीसदी महिला ऋण प्राप्तकर्त्ता आनलाइन ऋणों की बढ़ती लोकप्रियता, सहजता के अनुभव और डिजिटल लेडिंग को तेजी से अपनाने की प्रवृत्ति के चलते डिजिटल लेंडिग सेवाओं को लेकर आशावादी हैं। सर्वे के निष्कर्षों पर बोलते हुए होम क्रेडिट इंडिया के चीफ मार्केटिंग आफिसर, आशीष तिवारी ने कहा, “एक जिम्मेदार क्न्ज्यूमर लेंडर के तौर पर होम क्रेडिट का हमेशा से विश्वास सभी के लिए पहुंच बनाने व वित्तीय समावेशन के लिए तकनीकी व डिजिटल नवोन्मेष की शक्ति में रहा है। हाऊ इंडिया बारोज स्टडी दर्शाता है कि महिलाओं तक
वित्तीय सेवाओं की पहुंच व वित्तीय स्वतंत्रता के मामले में लैंगिक समानता में डिजिटल डिवाइड का गैप बदलने की शुरुआत हो चुकी है। जबकि डिजिटल लेंडिग पहुंच व सहजता को तेज करती है और सभी शहरों में महिला ऋण प्राप्तकर्त्ता उसी तरह से डिजिटल परिवर्तन को अपना रही है तो हम एचसीआईएन भी अपूर्त क्रेडिट आवश्यकताओं को बाधारहित व यूजर फ्रैंडली लेंडिग अनुभव के साथ उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एक जिम्मेदार कन्ज्यूमर लेंडर के तौर वित्तीय साक्षरता होम क्रेडिट इंडिया के लिए प्रमुख ईएसडी स्तंभों में से एक है और समाज के बड़े हिस्से में उत्तरदायी ऋण संस्कृति को लाने के लिए वित्तीय व डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित करने के लिए इस दिशा में काम किया जा रहा है।
हमारे वित्तीय साक्षरता के प्रयासों के अंग के तौर पर, हमने 30 लाख से अधिक लोगों को अपनी पैसे की पाठशाला माइक्रोसाइट, ब्लाग्स और सोशल मीडिया कैंपेन से जोड़ा है। इसी के साथ, होम क्रेडिट ने मूलभूत वैयक्तिक फाइनैंस कौशल प्रदान करने के लिए एक राष्ट्रीय एनजीओ-इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन के सहयोग से वित्तीय साक्षरता की सीएसआर पहल सक्षम की 2022 में शुरुआत की है जो देश भर में हाशिए के 30000 महिलाओं व बालिकाओं पर केंद्रित है।
होम क्रेडिट इंडिया तकनीकी का लाभ लेते हुए महिलाओं को सशक्त करने व लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक समावेशी वित्तीय ईकोसिस्सटम तैयार करने के प्रति संकल्पित है। नवोन्मेष व तकनीकी पर लगातार केंद्रित रहते हुए होम क्रेडिट इंडिया का उद्देश्य उपभोक्ताओं की आकांक्षाओ को पूरा करने वाला सक्षम प्रदाता बनना है और उन्हें वित्तीय रुप से स्वतंत्र जीवन जीने में मदद करना है।
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