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त्र्यंबक मंदिर को लेकर हुई राजनीतिक अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा – स्थानिक नागरिक

ठाणे [ अमन  न्यूज नेटवर्क ] त्र्यंबक गांव में हिंदू और मुसलमानों के बीच बहुत अच्छा तालमेल है। हालांकि 13 मई को जो हुआ उसे गलत तरीके से पेश करके राजनीतिक लाभ के लिए त्र्यंबक गांव को राजनीतिक रूप से बदनाम किया जा रहा है। 100 वर्षो से परंपरा रही है उर्स जब मंदिर के पास पहुंचता है तो भगवान शिव शंकर मंदिर के सीढ़ी पर एक चादर भेट स्वरूप चढाई जाती है. और लोहबान का धुवा दिखाया जाता रहा है इस बार मंदिर में तैनात सुरक्षा रक्षक न होने के कारण कुछ बच्चे ७ मिनट के लिए अंदर गए थे जिसके कारण सुरक्षा रक्षक और युवक के बीच कहा सुनी हो गई थी।
        कई वर्षो से रह रहे मंदिर के पास मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, इस बदनामी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि युवक अपनी पुरानी परंपरा को निभा रहा है। पूर्व मंत्री व विधायक डा जितेन्द्र आव्हाड ने कहा दो महीने पहले हमने आशंका जताई थी कि राज्य में दंगे भड़काने की कोशिश की जा सकती है। पत्रकार सम्मेलन में डा जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि वह डर सच साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस गांव के नागरिक आज विधायक डा आव्हाड से मिले। उसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बात की और गांव के तथ्य प्रस्तुत किए। डा आव्हाड  ने कहा कि त्र्यंबक गांव की आबादी चौदह हजार है। करीब चालीस हजार श्रद्धालु यहां आते हैं। मंदिर क्षेत्र में अन्य धर्मावलंबियों की दुकानें हैं। ये लोग सीढ़ियों के सामने इस भावना से धूप चढ़ाते हैं कि उनका घर भोलेनाथ की वजह से चलता हैं। साथ ही सीढ़ियों पर शाल बिछाते हैं। सैकड़ों सालों से यह परंपरा चली आ रही है और सलीम ने भी यही किया। लेकिन कुछ गुमराह लोगों ने धार्मिक नफरत फैलाने की कोशिश की है।                   महाराष्ट्र को आग लगाने की कोशिश करते हैं। लेकिन, पूरा गांव सलीम के पीछे खड़ा है। इस बीच, त्र्यंबक के मेजर उपाध्यक्ष संजय कदम ने जो हुआ उसका सच पेश किया। उन्होंने कहा, 13 तारीख को जो हुआ उसे गलत तरीके से पेश किया गया। यह बहाना बनाया गया कि यहां दंगा भड़क गया। वह स्थान जहाँ धूप दिखाई जाती थी। कई धार्मिक जुलूस उस मार्ग से गुजरते हैं। ये जुलूस महादेव को अगरबत्ती या अन्य माध्यमों से नमन करते हैं। लेकिन नया सुरक्षा गार्ड होने के नाते उन्हें इस परंपरा का पता नहीं चला और इससे गलतफहमियां फैल गईं।

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