ठाणे [ युनिस खान ] तीन तलाक क़ानून बनने से 95 फीसदी तलाक के मामलों में कमी आई है। इससे न सिर्फ महिलाओं को सुरक्षा मिली बल्की तलाक की स्थिति में बच्चों का भविष्य बर्बाद होने से बच गया। इस आशय का उदगार केरल के महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने ठाणे के एक कार्यक्रम में व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता किसी के खिलाफ नहीं है इसका उद्देश्य सभी महिलाओं को समान न्याय दिलाना है।
रामभाऊ म्हालगी प्रबोधनी संस्था की ओर से आयोजित समान नागरिक संहिता के विषय व्याख्यान में केरल के राज्यपाल खान विचार व्यक्त करते विस्तार जानकारी दी। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू मैरिज एक्ट पहले से ही देश में लागू है इससे किसी के शादी विवाह के तरीके पर कोई रोक नहीं लगी। आज कोई तलाक का मामले न्यायालय में जाता है तो उससे उसका धर्म और पंथ पूछा जाता है। क़ानून की पढ़ाई कर प्रतिस्पर्धा पास कर पहली या दूसरी पोस्टिंग में आये युवा न्यायाधीश से हम सभी धर्म व पंथों के निजी क़ानून की जानकारी की अपेक्षा करते है। उसने यदि अपने पक्ष में फैसला दिया तो अच्छा नहीं तो कहा जाता है कि यह हमारे निजी कनून में हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा कि 600 वर्षों से अधिक देश पर राज्य करने वाले किसी मुस्लिम शासन ने मुस्लिम पर्शनल ला नहीं बनाया। वे ऐसा कर सकते थे लेकिन यह क़ानून अंग्रेजों ने बनाया। अंग्रेज भारत के विविध समुदाय को अगल रखकर अपना शासन चलाना चाहते थे।
सभी महिलाओं को समान न्याय दिलाने के लिए सरकार ने समान नागरिक संहिता लायी है यह किसी के खिलाफ नहीं है। उन्होंने उदहारण देते हुए कहा कि परिवार में किसी तीन चार बेटे हैं और उसमें एक को विशेष अधिकार दिया गया तो नाराजगी बढ़ेगी। यदि एक दो लोगों ने अधिक जिम्मेदारी लिया तो खुशी होगी। लोग आपस में सहमति से अपने रीति रिवाज से अपना काम करेंगे लेकिन न्यायालय में फैसला करने के समय समान रूप से कानून के तहत निर्णय होगा। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता वाला देश भारत है। भारत में मुसलमानों की बड़ी संख्या है। चलो इसाई ,सिख , पारसी को अलग रखते हैं। यहूदी की बात करते हैं जब यह समुदाय अलग अलग देशों के साथ भारत आया। उन्हें भारत ने अपनाया और उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं हुआ तो बड़ी संख्या वालों समुदाय को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
राज्यपाल खान ने कहा कि मदीना के बाद दूसरी मस्जिद अरब देशों में नहीं केरल के त्रिचूर में बनी है। हजरत मोहम्मद पैगम्बर के देहावसान के दो वर्ष पहले बनी ऐसा केरल के लोगों का मानना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मुस्लिम पक्ष को कहा कि मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से आप प्रारूप बनाकर दें उसे हम मंजूर कर लेंगे। आपसी मतभेद के चलते उन्होंने प्रारूप नहीं दिया जिसके बाद सरकार को अपनी संहिता लाना पड़ा।