ठाणे [ युनिस खान ] किसी कलाकार में कितनी भी प्रतिभा क्यों न हो, उसे मौका मिलना जरूरी है। कलाकार कलाकार होता है हमारी सरकार भेदभाव नहीं करती है। इस आशय का उदगार राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सरकार कलाकारों को अवसर दे रही है और उनका सम्मान कर रही है।
ठाणे मनपा और ठाणे शहर दैनिक पत्रकार संघ की ओर ठाणे के बालासाहब ठाकरे स्मारक में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय फोटो प्रदर्शनी के विजेताओं को मुख्यमंत्री शिंदे के हाथो पुरस्कार वितरित किया गया। इस अवसर उन्होंने कहा कि देश के अनेक राज्यों के करीब 14 हजार फोटो आये जिसमें कुछ फोटो का पुरस्कार के लिए चयन किया गया। मुख्यमंत्री शिंदे से सभी पुरस्कार विजेता फोटो ग्राफर समेत सभी फोटो ग्राफर , पत्रकारों को विश्व फोटो ग्राफर दिवस की शुभकामनाएँ दी। आयोजन को सफल वालों का बधाई दी।
कार्यक्रम में विधायक प्रताप सरनाईक, ठाणे मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर, अतिरिक्त आयुक्त संदीप मालवी, पूर्व महापौर नरेश म्हस्के, ठाणे शहर दैनिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष आनंद कांबले व अन्य पदाधिकारी, पुरस्कार विजेता फोटोग्राफर और नागरिक उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी निश्चित रूप से कोई आसान कला नहीं है, इसके लिए एक अलग दृष्टिकोण, बहुत अधिक मेहनत की आवश्यकता होती है। सरकार इस मेहनत के साथ जरूर न्याय करेगी। मुख्यमंत्री शिंदे ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले और विजेता बने अन्य राज्यों के फोटोग्राफरों और ठाणे शहर दैनिक पत्रकार संघ के पदाधिकारियों को भी बधाई दी जो हर साल इस तरह की प्रतियोगिता आयोजित करता है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राज्य एक समावेशी राज्य है और पारंपरिक चीजों में आधुनिकता से जोड़ना समय की मांग है। यह सरकार बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बना रही है। विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं लेकिन ऐसा करते वक्त इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि माहौल खराब न हो। ठाणे शहर भी आमूल-चूल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निकट भविष्य में हम सभी एक स्वच्छ, सुंदर, विकसित ठाणे शहर और जिला देखेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा इस राष्ट्रीय स्तर की फोटो प्रतियोगिता के विजेता फोटोग्राफरों को सम्मानित किया गया। दीपक जोशी और समीर मार्कंडेय के साथ-साथ राज्य और विभागीय अधिस्वीकृति समिति में चयनित ठाणे के पत्रकार संजय पितले, विनोद जगदाले, डा दिलीप सपाटे, जयेश सामंत और वैभव विरवटकर को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।