मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] भारत में विभिन्न कारणों से पीजी आवास की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों की मौजूदगी, बिजनेस हब और शहरों में नौकरी के अवसर जैसे कारक शामिल हैं। मैजिकब्रिक्स की फ्लैगशिप रिपोर्ट, “एक्सप्लोरिंग द करंट लैंडस्केप ऑफ पीजी अकोमोडेशन इन इंडिया” के नतीजे बताते हैं कि, वित्त वर्ष 2022-23 में एनसीआर में पीजी आवास की कुल मांग 24% और कुल आपूर्ति 25% थी, जिसके बाद बेंगलुरु का स्थान आता है जहाँ मांग 23% और आपूर्ति 17% दर्ज की गई। मुंबई महानगर क्षेत्र की बात की जाए, तो यहाँ पीजी आवास की मांग और आपूर्ति 16% थी।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, पूरे भारत में 68.5% किरायेदारों ने डबल और ट्रिपल शेयरिंग वाले पीजी में अपनी दिलचस्पी दिखाई, जबकि मैजिकब्रिक्स प्लेटफॉर्म पर लगभग 71% पीजी लिस्टिंग में डबल ऑक्यूपेंसी या बड़ा सेटअप शामिल है। ट्रिपल-शेयरिंग आवास का मासिक किराया 4,800 से 7,700 रुपये के बीच है, तथा डबल-शेयरिंग आवास का मासिक किराया 6,800 से 10,000 रुपये के बीच है, जबकि अकेले रहने वाले पीजी कमरों का मासिक किराया 6,800 से 15,200 रुपये के बीच है। इसके अलावा, पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के लिए आवासीय सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले पीजी की मांग लगभग 55% थी।
मैजिकब्रिक्स के सीईओ, श्री सुधीर पई ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “भारत में पीजी आवास की मांग में बढ़ोतरी, दरअसल तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ-साथ बेहतर शिक्षा और करियर के अवसरों की तलाश से गहराई से जुड़ी हुई है। जिन शहरों में छात्रों और कामकाजी लोगों की संख्या काफी अधिक है, वहाँ के पीजी बाजार में जबरदस्त उछाल देखा गया है। इसके अलावा, भारत में मिलेनियल्स की कुल आबादी 52% है, जिसकी वजह से पीजी जैसे किफायती और सुविधाजनक आवास की मांग में बढ़ोतरी मध्यम से लंबी अवधि में जारी रहने की उम्मीद है। पीजी आवास बेहद किफायती होते हैं, जो इनकी बढ़ती लोकप्रियता का एक बड़ा कारण है। बड़े शहरों में बढ़ते किराये ने किरायेदारों को दूसरे विकल्पों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है, और ऐसे माहौल में पीजी अधिक किफायती विकल्प की पेशकश करते हैं।”
पीजी आवास बड़ी तेजी से रियल एस्टेट निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, क्योंकि पारंपरिक आवासीय बाजार की तुलना में इसमें किराये से होने वाली आमदनी कहीं अधिक है। पारंपरिक आवासीय बाजार में किराये का रिटर्न 2 से 3% पर स्थिर बना हुआ है, जबकि पेइंग गेस्ट आवास तुलनात्मक रूप से बेहद कम जोखिम के साथ 50% से 75% ज्यादा रिटर्न प्रदान करते हैं।
रिपोर्ट के नतीजों से यही निष्कर्ष निकलता है कि, अधिकांश शहरों में पीजी आवासों की मांग और आपूर्ति आम तौर पर एक-समान है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसमें अंतर भी दिखाई दिया है। उदाहरण के लिए, ग्रेटर नोएडा में सिंगल ऑक्युपेंसी पीजी की उपलब्धता में 11.6% कमी दर्ज की गई, जबकि डबल ऑक्युपेंसी वाले पीजी की मांग उसकी कुल आपूर्ति से 10.4% अधिक थी। ठाणे और कोलकाता जैसे शहरों में ट्रिपल शेयरिंग वाले पीजी की मांग मौजूदा आपूर्ति से 7-9% अधिक थी।