ठाणे [ युनिस खान ] राज्य सरकार द्वारा जारी नई जीआर के कारण सरकारी, अर्ध-सरकारी संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया तीन निजी कंपनियों के माध्यम से की जा रही है। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो स्थानीय भूमिपुत्रों के साथ अन्याय होगा और जिन लोगों को ज्ञान नहीं है, उन्हें सरकारी सेवा में भर्ती किया जाएगा। ऐसा ठाणे शहर कांग्रेस अध्यक्ष एड विक्रांत चव्हाण ने आरोप लगाया है।
उन्होंने यह भी मांग की कि जिन तीन कंपनियों के मामले में यह अध्यादेश पारित किया गया है, उसे रद्द किया जाए और वहां की भर्ती प्रक्रिया स्थानीय स्वशासन संस्था या सरकारी संस्था के माध्यम से लागू की जाए। वह ठाणे में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे, इस समय शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष भालचंद्र महाडिक समेत कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सचिन शिंदे, राहुल पिंगले, बालासाहेब भुजबल और अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। सरकार ने 21 जनवरी 2021 को पहला जीआर जारी किया। इसमें चार कंपनियों को सरकारी अर्ध-सरकारी कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार दिया गया। इसके बाद तीनों कंपनियों के जरिए यह प्रक्रिया लागू होनी शुरू हो गई है।
एड चव्हाण ने सवाल उठाया है कि निजी संस्था सरकारी सेवा में भर्ती कैसे तय करेगी। ये कंपनियाँ ऑनलाइन दस्तावेज़ एकत्र करेंगी, साक्षात्कार लेंगी और तय करेंगी कि कौन योग्य और अयोग्य है, लेकिन उन्होंने यह भी संदेह जताया कि स्थानीय भूमिपुत्र पिछड़ सकते हैं और आरक्षण प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। दरअसल इसका खुलासा हो चुका है कि वे लाखों रुपये लेकर ही कर्मचारियों की भर्ती करेंगे। उन्होंने यह भी गंभीर आरोप लगाया है कि इन कंपनियों में केंद्र के साथ-साथ राज्य के नेता भी शामिल हैं. मूल रूप से, चूंकि स्थानीय स्व-सरकारी निकाय भर्ती करने में सक्षम हैं, टीसीएस, आईबीपीएस ने उन्हें यह अधिकार दिया है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह भी मांग की है कि एमकेसीएल यानी तीनों कंपनियों के अध्यादेश को रद्द किया जाए।