मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्सव विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2023′ अपने 15 दिनों के अद्भुत प्रस्तुतियों के बाद रंगारंग कार्यक्रम के साथ समापन हुआ। यह महोत्सव देहरादून के लोगों को 15 दिनों तक भांति-भांति के संस्कृति एवं सभ्यता से परिचय करवाता रहा। इस महोत्सव के विभिन्न प्रस्तुतियों ने उत्तराखंड के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के लोगों को मंत्रमुग्ध करता रहा। देहरादून के कौलागढ़ रोड स्थित प्रतिष्ठित डॉ. बी.आर. अम्बेडकर स्टेडियम में आयोजित इस महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम को पसंद करने वाले लोगों की बहुत बड़ी संख्या यहां देखने को मिली, जो लोग प्रसिद्ध उस्तादों द्वारा प्रस्तुत की गई सांस्कृतिक धरोहर की प्रसिद्ध शास्त्रीय कला, संस्कृति और संगीत की मनमोहक माहौल में खोते हुए दिखे।
इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम ने देश के कोने-कोने से प्रसिद्ध कलाकारों को आकर्षित किया और उनके मनमोहक प्रस्तुतियों को भी अपने में सम्मिलित करते हुए भारतीय विरासत को आगे बढ़ाया और जन-जन तक पहुंचा। इन प्रस्तुतियों से भारत की सांस्कृतिक विरासत की गहराई और इसके स्थायी महत्व का पता चलता है। महोत्सव का शुभारंभ लोगों कोमंत्रमुग्ध कर देने वाले छोलिया नृत्य के साथ शुरू हुआ, जो उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से उत्पन्न एक पारंपरिक लोक कला है, जिसके बाद गुणी राकेश चौरसिया द्वारा मनमोहक बांसुरी वादन किया गया। दूसरे दिन पोरबंदर, गुजरात से रास प्रदर्शन का प्रदर्शन भी किया गया। ‘मल्लिक ब्रदर्स’ ने अपने दिल छू लेने वाले प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, उन्होंने अपनी मधुर धुन से एक शानदार संगीतमय माहौल तैयार किया और उत्तराखंड के लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। उत्सव का मुख्य आकर्षण ‘विंटेज और क्लासिकल कार और बाइक रैली’ थी, जिसके बाद प्रसिद्ध देबाशीष भट्टाचार्य द्वारा एक भावपूर्ण गिटार प्रदर्शन भी किया गया।
विरासत साधना कार्यक्रम में देहरादून के कई स्कूलों के छात्रों द्वारा असाधारण प्रदर्शन के साथ-साथ प्रतिष्ठित कलाकारों रोनू मजूमदार और यू राजेश द्वारा बांसुरी और मैंडोलिन पर मनमोहक जुगलबंदी प्रस्तुति दी गई। अंतर्राष्ट्रीय रूसी कलाकारों को शामिल करने से उत्सव की समृद्ध सांस्कृतिक केमिस्ट्री में एक रोमांचक वैश्विक आयाम जुड़ गया। इसके अलावा, भी महोत्सव में प्रसिद्ध वडाली ब्रदर्स द्वारा एक शानदार प्रदर्शन किया गया, जिसके विविध प्रदर्शनों में सूफी धुन, रोमांटिक लोक गीत, ग़ज़ल, भजन और भांगड़ा बीट शामिल थे, इस बार विरासत में ब्रायन सिलास के मधुर पियानो धुन और रिकी केज के अर्थ कॉन्सर्ट की प्रस्तुति एवं साउथ अफ्रीका जैसे देशों से आए हुए अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के प्रस्तुति ने विरासत को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर लाकर खड़ा कर दिया, जिसने डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्टेडियम में दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।
विरासत कला और विरासत महोत्सव 2023 , 27 अक्टूबर को शुरू हुआ और 10 नवंबर को समाप्त हुआ। रीच संस्था के महासचिव आर के सिंह ने इस कार्यक्रम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मीडियाकर्मियों को धन्यवाद दिया कि उनकी मदद और योगदान के बिना विरासत को वह सफलता और प्रशंसा नहीं मिल पाती जो उसे मिल रही है। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम के मकसद के बारे में बात की और कहा ’यह आयोजन विरासत को संरक्षित करने और संस्कृति के प्रसार के लिए आयोजित किया जाता है ताकि लोग पर्यटन के लिए रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे विभिन्न देशों से आ सकें। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस बार लोग दिन के समय भी आ रहे थे और स्टालों का अवलोकन कर रहे थे।
उन्होंने प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के बारे में बताया कि वे ए++ श्रेणी के हैं। उन्होंने डॉ. पुरोहित की प्रशंसा की जिन्होंने चक्रव्यूह के सभी संवादों को, जो कि गढ़वाल, उत्तराखंड के पांडव लोक रंगमंच द्वारा महाभारत का चित्रण है, गढ़वाली में बदल दिया। उन्होंने कहा कि हर साल दर्शकों की संख्या बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुमाऊंनी संस्कृति की प्रस्तुति की जा रही है और वह विरासत को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाने और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विरासत उत्कृष्टता के मानक स्थापित करने के लिए आयोजित की जाती है। उन्होंने लोगों द्वारा बाजरा और अन्य स्ट्रीट फूड से बने खाद्य पदार्थों की प्रशंसा करने की बात कही। उन्होंने इस कार्यक्रम को स्वर्गीय श्री सुरजीत किशन की स्मृति को समर्पित किया, जो विरासत के उपाध्यक्ष थे।