



ठाणे [ युनिस खान ] पतलीपाड़ा की पहाड़ियों पर 15 एकड़ प्राकृतिक जंगल को जाल में बंद पक्षी पार्क बनाने की परियोजना के खिलाफ निवासियों द्वारा शुरू किए गए “जंगल बचाओ” आंदोलन के कार्यकर्ता वन मंत्री गणेश नाइक के जनता दरबार में न्याय की गुहार लगायी है। इस मामले में वन मंत्री गणेश नाइक ने ठाणे मनपा के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे तैयार किए गए प्रस्ताव की दोबारा जांच करें और निवासियों के सुझावों पर विचार करें।
ठाणे शहर विकास योजना के अनुसार, पातलीपाड़ा में सर्वेक्षण संख्या 285/2, 271, और 139 (लगभग 70 एकड़) जमीन को आरक्षित वन घोषित किया गया था। 2008 से इस क्षेत्र में अतिक्रमण शुरू हो गया। इस संबंध में हीरानंदानी इस्टेट और अन्य कॉलोनियों के निवासियों की शिकायतों के बावजूद सरकारी एजेंसियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए 2011 में इस भूमि को आरक्षित वन के रूप में संरक्षित करने के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। क्षेत्रवासियों ने इस क्षेत्र में अतिक्रमण रोकने के साथ-साथ क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए पेड़-पौधे लगाने का भी लगातार अभियान चलाया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले 13 वर्षों में 15 एकड़ खुली भूमि पर 5000 से अधिक देशी पेड़ों का एक समृद्ध जंगल तैयार हो गया है। साथ ही यह तोते, बगुले सहित स्थानीय और विदेशी पक्षी प्रजातियों के पक्षियों का निवास स्थान बन गया है।
इस 15 एकड़ वन क्षेत्र को जाल से सुरक्षित किया गया है और एक पक्षी पार्क (आइवरी पार्क) बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। डेढ़ एकड़ जमीन को आवासीय घोषित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। नियोजित पक्षी उद्यान में बाहर से लाये गये पक्षियों को छोड़ा जाना है। जो जालीदार आवरण देशी पक्षियों के आवास को नष्ट कर देगा। राज्य सरकार और ठाणे मनपा द्वारा पहले लागू की गई कई परियोजनाएं खराब स्थिति में हैं। अतः प्राकृतिक जंगल को काटकर आइवरी पार्क का प्रस्ताव पर्यावरण के हित में नहीं है। इस आशय का उन्हें एक ज्ञापन भी दिया गया।
वन मंत्री नाईक ने नागरिकों की मांग पर सकारात्मक रुख दिखया है। 15 एकड़ का प्राकृतिक जंगल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाला फेफड़ा है। पूर्व भाजपा समूह नेता मनोहर डुंबरे के नेतृत्व में निवासियों ने वन मंत्री गणेश नाइक से अपील की कि घोड़बंदर रोड पर तेजी से सीमेंट कंक्रीट के जंगल का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन जंगल को बचाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। गणेश नाईक ने कहा कि वे शहरवासियों की भावनाओं से सहमत हैं।