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भूमि वर्ल्ड इंडस्ट्रीयल पार्क निजी जमीन पर , याचिकाकर्ता का आरोप बेबुनियाद – प्रकाश पटेल       

भिवंडी [ एम हुसेन ] भिवंडी तालुका के पिंपलास गावं सीमांतर्गत लगभग 100 एकड जमीन पर बना भूमि वर्ल्ड इंड्रस्टीयल पार्क प्रकल्प पूर्ण रूप से निजी जमीन पर है। सन 2009 में ग्रामपंचायत से मिलने वाले प्रमीशन के आधार एवं जिलाधकारी कार्यालय से मिले एन ए के बाद यह प्रकल्प तैयार किया गया है। इस प्रकार का  दावा उद्योजक प्रकाश पटेल ने किया है । उक्त गोदाम उद्योग प्रकल्प को एमएमआरडीए की मंजूरी आवश्यक है यह ध्यान में आने के बाद  ही प्रकल्प की इमारत का निर्माण कार्य नियमित करने के लिए प्रस्ताव एमएमआरडीए के समक्ष प्रस्तुत किया गया है जो आज भी एमएमआरडीए के पास विचाराधीन  है। इस प्रकार का दावा उक्त प्रकल्प के कर्ताधर्ता  भूमि एसोसिएट्स कंपनी ने मुंबई  उच्च न्यायालय में  अपने प्रतिज्ञा पत्र में किया है ।

   इसी प्रकार  उक्त  भूमि वर्ल्ड प्रकल्प निर्माण कार्य  अवैध होने का आरोप पुनः सुधाकर चौधरी व सतीश माने ने . अमित घरटे द्वारा दाखिल जनहित याचिका उच्च न्यायालय में विचाराधीन है जिसकी सुनवाई के दौरान अनेक गंभीर प्रश्न उपस्थित किए गए हैं। एमएमआरडीए को दो सप्ताह में उत्तर दाखिलल करने के लिए निर्देश दिए गए हैं । ‘सरकारी जमीन पर इमारत का निर्माण कार्य करने के विरोध में याचिकाकर्ता के आरोप को पटेल ने बेबुनियाद बताया है। भूमि वर्ल्ड कंपनी ने 2007 से स्थानिक गांव वासियों की जमीन अधिकृत रूप से खरीदकर लघु व मध्यम उद्योग के लिए इस प्रकल्प को तैयार किया है केंद्र  सरकार के मेक इन इंडिया व महाराष्ट्र के मॅग्नेटिक महाराष्ट्र उपक्रम के अनुसार  प्रकल्प पंजीकृत किया गया था। इस प्रकार रोजगार निर्माण करने वाले भूमि वर्ल्ड उद्योग समूह के प्रमुख प्रकाश पटेल के केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी  के हस्तों मानपत्र देकर सम्मानित भी किया गया है।  एक हजार से अधिक औद्योगिक गोदाम गाले के  माध्यम से 25 हजार से अधिक मजदूरों को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है। इस प्रकार की रिपोर्ट कंपनी की ओर से प्रकाश पटेल ने उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए  प्रतिज्ञापत्र में बताया है । उक्त ‘बांधकाम विषयी  शिकायत पर  एमएमआरडीए ने नोटिस जारी किया है। परंतु ग्रामपंचायत व जिलाधिकारी व अन्य प्राधिकरण का परमीशन भी हमने  न्यायालय में पेश किया । इससे  पूर्व में भी यह जमीन औद्योगिक उपयोगी थी जिसके नियोजन में  वाणिज्यिक कर दिया गया है । जिसकारण जमीन उपयोग करने के लिए  पुनः औद्योगिक के लिए परिवर्तन करने हेतु विनंती प्रस्ताव हमने दिया है। एमएमआरडीए प्रशासन ने जनवरी-2018 की बैठक में स्वयं उसे मान्यता दिया था । उक्त जमीन का उपयोग परिवर्तन होने के बाद एमएमआरडीए द्वारा इमारत निर्माण कार्य  नियमित होना अपेक्षित है जो आज भी विचाराधीन है। इसलिए  याचिकाकर्ता का आरोप बेबुनियाद है इस प्रकार का दावा उद्योजक प्रकाश पटेल ने किया है । उक्त प्रकरण में उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई  दिवाली की छुट्टी के बाद होने   वाली है।

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