ठाणे [ युनिस खान ] ठाणे मनपा समेत राज्य की स्थानीय स्वराज्य संस्थाएं , महानगर पालिकाएं के प्रत्यक्ष महासभा का मार्ग खुल गया है। ठाणे मनपा अपनी किसी नाट्यगृह या सभागृह में प्रत्यक्ष महासभा आयोजित करे इस सन्दर्भ में मुंबई उच्च न्यायालय ने इस सन्दर्भ में निर्देश दिया है।23 फरवरी तक सरकार ने नीतिगत निर्णय नहीं लिया तो उच्च न्यायालय निर्णय देगा।
कोरोना संक्रमण के चलते मनपा की महासभा प्रत्यक्ष न कर आन लाईन वेबिनार के माध्यम से आयोजित की जा रही थी। राकांपा प्रत्यक्ष महासभा का आयोजन करने की मांग कर रही थी। इस मुद्दे को लेकर मनपा न विरोध पक्षनेता अशरफ शानू पठान ने मुंबई उच्च न्यायालय न याचिका दायर किया। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि वेबिनार पर आयोजित होने वाली महासभा अधिकांश नगर सेवकों की समझ में नहीं आती और वे अपने प्रभाग के मुद्दे महासभा ने नहीं उठा पाते हैं। वेबिनार पर महासभा आयोजित कर नगर सेवकों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इंटरनेट की असुविधा के बहाने लोगों की आवाज दबा दी जाती है। शहर विकास व प्रभाग की समस्याओं के मुद्दे पर महासभा में चर्चा नहीं हो पाती है। प्रशासन और सत्ताधारी बगैर प्रत्यक्ष चर्चा के अपनी सुविधा अनुसार प्रस्ताव पारित करा लेते हैं। विरोधी पक्षनेता पठान ने विधान सभा की तरह नगर सेवकों की कोरोना जांच कर नियमों का पालन करते हुए प्रत्यक्ष महासभा आयोजित करने के लिए कहा था। सभागृह में संभव न होने पर मनपा की गडकरी रंगायतन या डा काशीनाथ घाणेकर नाट्यगृह में महासभा आयोजित करने का सुझाव दिया। इस आशय की मांग को लेकर विरोधी पक्षनेता पठान की ओर एड. सुहास ओक ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया। आज याचिका पर मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने संसद , विधान मंडल अधिवेशन व सिनेमा गृह आदि शुरू करने की दलीलें रखते अपना ह रखा। जिस पर न्यायालय ने सहमती दिखाते हुए निर्देश दिया कि ठाणे मनपा किसी नाट्यगृह या बड़े सभागृह में महासभा का आयोजन करे ,23 फरवरी तक सरकार ने नीतिगत निर्णय लेकर राज्य की स्थानीय निकायों सर्व सामान्य सभा आयोजित करने आध्यादेश जारी करे , अन्यथा न्यायालय इस बारे में 23 फरवरी को आदेश देगा।