



मुंबई, वुमन्स वर्ल्ड बैंकिंग, निम्न-आय वर्ग की महिलाओं को उनकी वित्तीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए वित्तीय साधनों तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध एक वैश्विक गैर-लाभकारी संस्था, तथा भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंकों (PSBs) में से एक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने आज एक नई रिपोर्ट, ‘द पावर ऑफ़ जन धन: मेकिंग फाइनेंस वर्क फॉर वुमन इन इंडिया’ को प्रकाशित किया। इस रिपोर्ट का अनुमान है कि, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निम्न-आय वर्ग की 100 मिलियन महिलाओं को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराके बचत खाते में लगभग 25,000 करोड़ रुपये (250 बिलियन) प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही निम्न-आय वर्ग के 40 करोड़ (400 मिलियन) भारतीयों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है।
इस रिपोर्ट में, निम्न-आय वर्ग की महिलाओं और उनके परिवारों के लिए बचत की अहमियत को उजागर किया गया है, जो उन्हें आर्थिक समस्याओं का सहज तरीके से सामना करने योग्य बनाने के लिए सबसे असरदार साधन है। महिलाओं में बचत की प्रवृत्ति तथा उनके वित्तीय समावेशन में आने वाली बाधाओं पर गहन जानकारी प्रदान करने वाली इस रिपोर्ट में पीएसबी (PSBs) तथा नीति-निर्माताओं को वर्ष 2014 में शुरू की गई सरकार की प्रमुख वित्तीय समावेशन योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के सशक्तिकरण के लिए सुझाव भी दिए गए हैं।
ग्लोबल फाइंडेक्स रिपोर्ट 2017, के अनुसार भारत में 77% महिलाओं और 83% पुरुषों के पास बैंक में खाता है, तथा बीते वर्षों में पुरुषों एवं महिलाओं के खाते के स्वामित्व के बीच इस लैंगिक अंतर में 6% की गिरावट आई है (2014 के बाद से 20%) गिर गया है। आज, 23.73 करोड़ (237.3 मिलियन) महिलाओं के जन धन खाते हैं। हालांकि, रिपोर्ट में इस बात को विशेष रूप से बताया गया है कि बैंक में खाता होने का मतलब यह नहीं है कि इसका उपयोग किया जा रहा है, जो पूर्ण वित्तीय समावेशन को निर्धारित करने वाला बेहद अहम घटक है।
वुमन्स वर्ल्ड बैंकिंग और बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने विशेष रूप से महिला जन धन ग्राहकों के बीच बैंक खाते के ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट प्रोडक्ट तैयार किया है। ‘जन धन प्लस‘ एक ऐसा समाधान है, जिसमें जन धन खाते को चार महीने में 500 रुपये जमा करने पर मिलने वाले इन्सेंटिव के साथ जोड़ा गया है। जमा करने के बदले खाताधारक को प्रोत्साहन के तौर पर 10,000 रुपये के क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके कई फायदे हैं – महिला खाताधारक का बैंकों के साथ जुड़ाव अधिक होने पर कौशल और विश्वास का निर्माण होगा, जबकि बैंकों को अपने बेहद महत्वपूर्ण ग्राहकों के बारे में जानने तथा अपने उत्पादों एवं सेवाओं के जरिए उनसे जुड़ने का अवसर मिलेगा। इस तरह महिलाओं एवं उनके परिवार को कोविड-19 और इसी तरह की अन्य परिस्थितियों में आर्थिक कठिनाई से निपटने के लिए जमा-पूंजी विकसित करने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे उन्हें आपातकालीन निधि और क्रेडिट फुटप्रिंट दोनों का फायदा मिलेगा ताकि वे भविष्य में लोन और अन्य सेवाओं का लाभ उठा सकें।
फरवरी 2020 से अगस्त 2020 के बीच मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में बैंक ऑफ़ बड़ौदा की 101 शाखाओं और 300 से अधिक बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट पॉइंट्स के साथ इस प्रायोगिक परियोजना का संचालन किया गया।