



ठाणे [ युनिस खान ] राज्य के मुख्यमंत्री और शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को महाविकास को नेतृत्व करने की बात की जा रही है वहीं ठाणे के निवर्तमान महापौर नरेश म्हस्के शिवसेना-भाजपा के स्वाभाविक गठबंधन का सबूत दे रहे हैं। तो क्या ठाणे की शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के आदेश या नरेश म्हस्के की विचारधारा का पालन करती है? इसका स्पष्टीकरण राज्य के नगर विकास मंत्री व जिले पालकमंत्री एकनाथ शिंदे को देना चाहिए। इस आशय की टिप्पणी राकांपा शहर जिला अध्यक्ष व पूर्व सांसद आनंद परांजपे ने किया है।
अगर आप मेरे भोज में नहीं आ सकते तो मैं आपके साथ क्यों रहूं, महापौर म्हस्के ने राकांपा को चेतावनी दी। अपने कार्यकाल की पिछली आम सभा में म्हस्के ने कहा है कि शिवसेना और भाजपा के बीच स्वाभाविक गठबंधन है। आनंद परांजपे ने अपने तरह का उत्तर दिया है।आनंद परांजपे ने कहा कि पिछली आम सभा में ठाणे के महापौर म्हस्के की अध्यक्षता में हुई थी। कार्यकाल समाप्ति के अवसर पर भी उनका अहंकार आज भी नहीं हुआ है। महापौर के तौर पर उनका ढाई साल का कार्यकाल आज खत्म हो गया है। कल भी उन्होंने महासभा में राकांपा पर तंज कसते हुए शिवसेना और भाजपा को स्वाभाविक गठबंधन बताया और आत्मनिर्भरता का नारा दिया। आपको हैरानी होगी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का एक तरफ कहना है कि 30 साल से हम असमंजस की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि हमने सांप को दूध पिलाया और ठाणे के महापौर कहा रहे हैं कि शिवसेना-भाजपा का स्वाभाविक गठबंधन है और दोनों फिर से मिल सकते हैं। इसका स्पष्टीकरण पालकमंत्री एकनाथ शिंदे को करना चाहिए कि ठाणे में शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे या शिवसेना के जिलाध्यक्ष, मौजूदा महापौर नरेश म्हस्के की विचारधारा के आदेश पर चलती है’!
गुरुवार को उन्होंने आत्मनिर्भरता का नारा लगाया हम इसका स्वागत करते हैं। वास्तव में, वह उनके अच्छे की कामना करता है। हालांकि, पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे, जहां संभव हो; एक महाविकास अघाड़ी होना चाहिए, ‘उन्होंने अपील की। उनके आह्वान का समर्थन करते हुए राकांपा नेता व गृहनिर्माण मंत्री डा जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि ठाणे में महाविकास अघाड़ी का गठन किया जाए , हमारा एक ही प्रयास है। अगर शिवसेना कल आत्मनिर्भरता का नारा देती है तो हम उसका स्वागत करेंगे। सौभाग्य से म्हस्के ने यह नहीं कहा कि 142 पार्षदों में से 142 हमारे द्वारा चुने जाएंगे। परांजपे ने कटाक्ष किया कि क्योंकि, वे यह भी नहीं जानते कि कलियुग में उनके चाणक्य कब नारद बन गए।